SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 134
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 134 प्रतिष्ठा पूजाञ्जलि n अगहन सुदि एकम जाना, जिन मात रमा सुखखाना। । श्री पुष्पदंत उपजाए, पूजतहूँ ध्यान लगाये ।। ॐ ह्रीं मार्गशीर्षशुक्लप्रतिपदायां श्रीपुष्पदन्तजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्यं ।।९।। द्वादश वदि माघ सुहानी, नंदा माता सुखदानी। श्री शीतल जिन उपजाए, हम पूजत विघ्न नशाए।। ॐ ह्रीं माघकृष्णद्वादश्यां श्रीशीतलनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अy.।।१०।। फागुन वदि ग्यारस नीकी, जननी विमला जिनजी की। श्रेयांसनाथ उपजाए, हम पूजत ही सुख पाए।। ॐ ह्रीं फाल्गुनकृष्णएकादश्यां श्रीश्रेयांसनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्य ।।११।। वदिफाल्गुन चौदसि जाना, विजया माता सुखखाना। श्री वासुपूज्य भगवाना, पूजूं पाऊँ जिन ज्ञाना ।। ॐ ह्रीं फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यां श्रीवासुपूज्यजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्यं ।।१२।। शुभ द्वादश माघ वदीकी, श्यामा माता जिनजी की। श्री विमलनाथ उपजाए, पूजत हम ध्यान लगाए।। ॐ ह्रीं माघकृष्णद्वादश्यां श्रीविमलनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्यं ।।१३।। द्वादशि वदि जेठ प्रमाणी, सुरजा माता सुखदानी। जिननाथ अनन्त सुजाए, पूजत हम नाहिं अघाए। ॐ ह्रीं ज्येष्ठकृष्णद्वादश्यां श्रीअनन्तनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अy ॥१४।। तेरसि सुदि माघ महीना, श्री धर्मनाथ अघ छीना। माता सुव्रता उपजाए, हम पूजत ज्ञान बढाए।। ॐ ह्रीं माघशुक्लत्रयोदश्यां श्रीधर्मनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अय॑ ।।१५।। वदि चौदस जेठ सुहानी, ऐरा देवी गुन खानी। श्री शान्ति जने सुख पाए, हम पूजत प्रेम बढाए ।। ।। ॐ ह्रीं ज्येष्ठकृष्णचतुर्दश्यां श्रीशान्तिनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्यं ।।१६।।
SR No.009468
Book TitlePratishtha Pujanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Shastri
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year2012
Total Pages240
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, M000, & M005
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy