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________________ प्रतिष्ठा पूजाञ्जलि 133 जन्मकल्याणकविभूषित चौबीस तीर्थंकरों के लिए अध्य (चाल) वदि चैत नवमि शुभ गाई, मरुदेवि जने हरषाई। श्री रिषभनाथ युग आदी, पूनँ भव मेट अनादी ।। ॐ ह्रीं चैत्रकृष्णनवम्यां श्रीवृषभनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अयं ।।१।। दशमी शुभ माघ वदी को, विजया माता जिनजी की। उपजे श्री अजित जिनेशा, पूर्जे मेटो सब क्लेशा ।। ॐ ह्रीं माघकृष्णदशम्यां श्रीअजितनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अय॑ ।।२।। कार्तिक सुदि पूरणमासी, माता सुसैन हुल्लासी। श्री सम्भवनाथ प्रकाशे, पूजत आपा पर भासे ।। ॐ ह्रीं कार्तिकशुक्लपूर्णिमायां श्रीसंभवनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्यं ।।३।। शुभ चौदश माघ सुदी की, अभिनन्दननाथ विवेकी। उपजे सिद्धार्था माता, पूजूं पाऊँ सुख साता ।। ॐ ह्रीं माघशुक्लचतुर्दश्यां श्रीअभिनन्दननाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्यं ।।४।। ग्यारस है चैत सुदी की, मंगला माता जिनजी की। श्री सुमति जने सुखदाई, पूनँ मैं अर्घ्य चढाई ।। ॐ ह्रीं चैत्रशुक्ल-एकादश्यां श्रीसुमतिनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्यं ।।५।। कार्तिक वदी तेरसि जानो, श्री पद्मप्रभ उपजानो। है मात सुसीमा ताकी, पूजूं ले रुचि समता की। | ॐ ह्रीं कार्तिककृष्णत्रयोदश्यां श्रीपद्मप्रभजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्यं ।।६।। शुचि द्वादश जेठ सुदी की, पृथवी माता जिनजी की। जिननाथ सुपारस जाए, पूनँ हम मन हरषाए।। ॐ ह्रीं ज्येष्ठशुक्लद्वादश्यां श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अy.।।७।। शुभ पूस वदी ग्यारस को, है जन्म चन्द्रप्रभ जिनको। धन्य मात सुलखनादेवी, पूजूं जिनको मुनिसेवी।। *हीं कृष्णशुक्लएकादश्यां श्रीचन्द्रप्रभजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्य 14/1
SR No.009468
Book TitlePratishtha Pujanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Shastri
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year2012
Total Pages240
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, M000, & M005
File Size1 MB
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