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________________ नियमसार (मालिनी) इति जिनपतिमार्गाम्भोधिमध्यस्थरत्नं । द्युतिपटलजटालं तद्धि षड्द्रव्यजातम् ।। हृदि सुनिशितबुद्धिर्भूषणार्थं विधत्ते। स भवति परमश्रीकामिनीकामरूपः ।।१६।। __ इसप्रकार हम देखते हैं कि मूल गाथा में तो छह द्रव्यों के मात्र नाम गिनाकर इतना ही कहा गया है कि अनेकप्रकारकेगुणऔर पर्यायों से संयुक्त इन छह द्रव्यों को ही तत्त्वार्थकहते हैं; किन्तु टीका में छह द्रव्यों को परिभाषित किया गया है। जीव को छोड़कर शेष पाँच द्रव्यों की तो मात्र परिभाषायें ही दी गई हैं, किन्तु जीव के विविध नयों से भेद-प्रभेद भी बताये गये हैं। जीवद्रव्य के मूलतः दो भेद किये गये हैं ह्न शुद्धजीव और अशुद्धजीव । कारणशुद्धजीव और कार्यशुद्धजीव के भेद से शुद्धजीव भी दो प्रकार का बताया गया है। पर और पर्यायों से भिन्न त्रिकाली ध्रुव आत्मा कारणशुद्धजीव है और उसमें अपनापन स्थापित करने से, उसी में जम जाने, रम जाने से जो अरहंत-सिद्धदशारूप पर्याय प्रगट होती है; उस पर्याय सहित आत्मा कार्यशुद्धजीव है। मतिज्ञानादि पर्यायों से युक्त जीव अशुद्धजीव है। इसके साथ यह भी स्पष्ट किया गया है कि संग्रहनय से जो जीता था, जीता है और जियेगा, वह जीव है; व्यवहारनय से द्रव्यप्राणों से जीनेवाला संसारी जीव, जीव है और निश्चयनय से चेतना प्राण से जीनेवाला जीव, जीव है।।९।। इसके उपरान्त टीकाकार एक कलशरूप काव्य लिखते हैं, जिसमें छह द्रव्यों को सही रूप में जानकर उनकी श्रद्धा करने का फल बताया गया है। छन्द का पद्यानुवाद इसप्रकार हैह्न (रोला) जिनपति द्वारा कथित मार्गसागर में स्थित | ___ अरे तेज के पुंज विविध विध किरणों वाले।। छह द्रव्यों रूपी रत्नों को तीक्ष्णबुद्धि जन| धारण करके पा जाते हैं मुक्ति सुन्दरी ।।१६।। जिनपति के मार्गरूपी सागर के मध्य में स्थित, तेज के अंबार के कारण किरणोंवाला षट् द्रव्य के समूहरूप रत्न को, जो तीक्ष्णबुद्धिवाला पुरुष हृदय में शोभा के लिए भूषण के रूप में धारण करता है; वह पुरुष परमश्रीरूपी कामिनी का वल्लभ होता है। तात्पर्य यह है कि जो पुरुष अंतरंग में उक्त छह द्रव्यों की यथार्थ श्रद्धा करता है, वह मुक्तिरूपी लक्ष्मी का वरण करता है।
SR No.009464
Book TitleNiyamsara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2012
Total Pages497
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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