SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 44
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४० णमोकार महामंत्र : एक अनुशीलन कहता है। इसप्रकार यह जगत हथियारों का अंबार लगाकर अपने को सुरक्षित करना चाहता है; पर भाई हथियार तो मृत्यु के उपकरण हैं, जीवन के नहीं; इस सामान्य तथ्य की ओर आपका ध्यान क्यों नहीं जाता ? हथियारों के प्रयोग से आज तक किसी का जीवन सुरक्षित तो हुआ नहीं, मौत का ताण्डव अवश्य हुआ है। इस परमसत्य के स्पष्टीकरण के लिए मैं आपका ध्यान इस तथ्य की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ; भारत में लगभग एक करोड़ जैन रहते हैं, यदि उनके घरों की तलाशी ली जावे तो एक प्रतिशत घरों में भी कोई भी शस्त्र नहीं मिलेगा। जैन मंदिरों की तो यह हालत है कि आग्नेय शस्त्र तो बहुत दूर, किसी भी मंदिर में एक लाठी भी प्राप्त नहीं होगी। शस्त्रों से विहीन इस अहिंसक समाज का एक भी व्यक्ति शस्त्रों से बेमौत नहीं मरता, सभी अपनी सहज मौत से ही मरते हैं। दूसरी ओर देखें तो पंजाब के घर-घर में हथियार हैं और गुरुद्वारे तो हथियारों से भरे पड़े हैं। जब भी किसी गुरुद्वारे का सैनिकों द्वारा ऑपरेशन होता है तो वे हथियारों के पहाड़ों से पटे मिलते हैं, फिर भी वे लोग सुरक्षित नहीं हैं। हम प्रतिदिन समाचार-पत्रों में पढ़ते हैं कि आज इतने मरे और आज इतने मरे । नहीं मरने का तो कोई सवाल ही नहीं है, बस अब तो इतना ही देखना होता है कि आज कितने मरे ? ऐसा कोई दिन नहीं जाता कि जिस दिन पंजाब या कश्मीर में दस-बीस हत्यायें न होती हों। यह सब क्या है ? इससे तो यही सिद्ध होता है कि शस्त्र सुरक्षा के साधन नहीं हैं, अपितु मौत के ही मौन आमंत्रण हैं; क्योंकि जिनके पास हथियार नहीं होते, वे हथियारों से नहीं मरते; पर जिनके पास हथियार होते हैं, वे प्रायः हथियारों ही मारे जाते हैं । मान लीजिए मेरे पास दस हजार रुपये हैं और वे रुपये मुझ निहत्थे से कोई छीनना चाहता है तो उसे हथियार लाने की कोई आवश्यकता नहीं है,
SR No.009460
Book TitleNamokar Mahamantra Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla, Yashpal Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2009
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy