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________________ ___ णमोकार महामंत्र : एक अनुशीलन यदि पंचपरमेष्ठी से कुछ मांग न करने के कारण ही णमोकार महामंत्र महान है तो फिर आचार्य कुन्दकुन्द की उक्त गाथा निश्चित रूप से उससे भी अधिक महान है; क्योंकि कुन्दकुन्द तो पर की शरण में जाने की बात ही नहीं करते। वे तो अपने आत्मा की शरण में जाने की बात करते हैं। इस गाथा में वे आत्मा की शरण में जाने की बात को सयुक्ति सिद्ध करते हैं। इस बात की चर्चा करने के पूर्व में णमोकार मंत्र के बाद आनेवाले मंगल, उत्तम और शरण बतानेवाले पाठ के संदर्भ में एक महत्त्वपूर्ण बात की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ। ___ णमोकार महामंत्र में तो पांचों ही परमेष्ठियों का स्मरण किया गया है; पर मंगल, उत्तम और शरण बताते समय आचार्य और उपाध्याय को छोड़ दिया है। क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया गया है ? ____ मुक्ति प्राप्त करने के लिए साधु होना अनिवार्य है, अरहन्त होना अनिवार्य है, सिद्ध होना भी अनिवार्य है; क्योंकि सिद्ध होना ही तो मुक्ति प्राप्त करना है, पर मुक्त होने के लिए आचार्य और उपाध्याय होना अनिवार्य नहीं है। यही कारण है कि मंगल, उत्तम और शरण की चर्चा में उन्हें शामिल नहीं किया गया है। न केवल इतनी ही बात है कि मुक्ति के लिए आचार्यपद आवश्यक नहीं है, अपितु बात तो यहाँ तक है कि आचार्य जबतक आचार्यपद पर हैं, तबतक उन्हें केवलज्ञान की प्राप्ति नहीं होती। उनके अनेक साधु शिष्यों को केवलज्ञान हो जाता है, पर उन्हें नहीं होता। जब वे आचार्यपद छोड़कर सामान्य साधुपद धारण करते हैं और आत्मसन्मुख होते हैं, तभी केवलज्ञान होता है। यद्यपि यह सत्य है कि आचार्य और उपाध्याय परमेष्ठियों को सर्वसाधुओं में शामिल कर लिया गया है, उन्हें छोड़ा नहीं गया है; तथापि उन्हें गौण तो किया ही गया है और गौण करने का एकमात्र कारण मुक्ति प्राप्त करने में उक्त
SR No.009460
Book TitleNamokar Mahamantra Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla, Yashpal Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2009
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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