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________________ णमोकार महामंत्र : एक अनुशीलन १०८ बड़ी अयोध्या में राम का जन्म कहाँ हुआ था - यह निश्चित करना सहज संभव नहीं है। राम का मन्दिर तो अयोध्या में ही बने, सुन्दर बने तथा बहुत विशाल बने; लेकिन आज हमारी स्थिति यह है कि हम उस स्थान से एक इंच भी यहाँ से वहाँ होना नहीं चाहते, जिससे हमारे देश में बहुत बड़ी तकलीफ खड़ी हो गई है। यह हम सबके लिए अच्छी बात नहीं है। हमारे धर्मगुरुओं तथा हम जैसे लोगों को चाहिए कि अपनी जनता को समझाएँ कि राम के राज्य में राम सबसे बड़े प्रतिद्वन्द्वी रावण के भाई के लिए भी स्थान प्राप्त था । वर्तमान यदि राम का राज्य यहाँ होता तो क्या राम अन्य प्रकार की आस्थावाले लोगों के लिए अयोध्या में अपनी आस्था के स्थान नहीं बनाने देते ? प्रश्न- विवाद इस बात पर अधिक लगता है कि मन्दिर बने तो कहाँ बने ? कुछ लोग ऐसी सोचवाले भी हो सकते हैं कि मन्दिर बने, चाहे न बने लेकिन....? इस सोच में जो विवाद की स्थिति है - आध्यात्मिक चिन्तक होने नाते क्या आप यह सोचते हैं कि मन्दिर उसी स्थान पर बने जहाँ पर आग्रह है, अथवा कहीं और बने जिससे विवाद न हो ? डॉ. साहब - मन्दिर नहीं बनने का तो कोई सवाल ही नहीं है, मन्दिर तो बनना ही चाहिए तथा अच्छे से अच्छा बनना चाहिए, लेकिन यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि इसके साथ सारे देश की आस्था और खुशियाँ जुड़ी हुई हैं। सारे देश में खून की एक बूँद भी न बहे और मन्दिर बने तो सारे विश्व में अपने देश की प्रतिष्ठा तो बढ़ेगी ही और वही राम का असली मन्दिर भी होगा । यदि मन्दिर खून-खराबा, दंगे-फसाद होकर बनता है तो वह राम का असली मन्दिर नहीं होगा, चाहे वह कितना भी बढ़िया और सुन्दर क्यों न बने। इस मैं चाहता हूँ कि कोई इस विषय को हार या जीत का मुद्दा न बनाए । वहाँ चाहे कुछ भी बने, लेकिन हम उसे कोई पक्ष हारा और दूसरा जीता रूप में न देखें। प्रत्येक भारतीय नागरिक को अपनी जीत महसूस हो - ऐसा कोई समाधान हमें मिल-बैठकर निकालना चाहिए। हमारे संत, धर्मगुरु, बहुत —
SR No.009460
Book TitleNamokar Mahamantra Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla, Yashpal Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2009
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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