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________________ नक्शों में दशकरण (जीव जीता-कर्म हारा) शास्त्राभ्यास से लाभ 1. ज्ञान से ही सम्यग्दर्शन उत्पन्न होता है। 2. ज्ञान से ही कषायों का अभाव हो जाता है। 3. ज्ञानाभ्यास से माया, मिथ्यात्व, निदान ह्र इन तीन शल्यों का नाश होता है। 4. ज्ञान के अभ्यास से ही मन स्थिर होता है। 5. ज्ञान से ही अनेक प्रकार के दुःखदायक विकल्प नष्ट हो जाते हैं। 6. ज्ञानाभ्यास से ही धर्मध्यान व शुक्लध्यान में अचल होकर बैठा जाता है। 7. ज्ञानाभ्यास से ही जीव व्रत-संयम से चलायमान नहीं होते। 8. ज्ञान से ही जिनेन्द्र का शासन प्रवर्तता है। अशुभ कर्मों का नाश होता है। 9. ज्ञान से ही जिनधर्म की प्रभावना होती है। 10, ज्ञान के अभ्यास से ही लोगों के हृदय में पूर्व का संचित कर रखा हुआ पापरूप कर्म का ऋण नष्ट हो जाता है। 11. अज्ञानी जिस कर्म को घोर तप करके कोटि पूर्व वर्षों में खिपाता है, उस कर्म को ज्ञानी अंतर्मुहूर्त में ही खिपा देता है। 12. ज्ञान के प्रभाव से ही जीव समस्त विषयों की वाञ्छा से रहित होकर संतोष धारण करते हैं। 13. ज्ञानाभ्यास/शास्त्राभ्यास से ही उत्तम क्षमादि गुण प्रगट होते हैं। 14. ज्ञान से ही भक्ष्य-अभक्ष्य का, योग्य-अयोग्य का, त्यागने-ग्रहण करने योग्य का विचार होता है। 15. ज्ञान से ही परमार्थ और व्यवहार दोनों व्यक्त होते हैं। 16. ज्ञान के समान कोई धन नहीं है और ज्ञानदान समान कोई अन्य दान नहीं है। 17. ज्ञान ही दुःखित जीव को सदा शरण अर्थात् आधार है। 18. ज्ञान ही स्वदेश में एवं परदेश में सदा आदर कराने वाला परम धन है। 19. ज्ञान धन को कोई चोर चुरा नहीं सकता, लूटने वाला लूट नहीं सकता, खोंसनेवाला खोंस नहीं सकता। 20. ज्ञान किसी को देने से घटता नहीं है, जो ज्ञान-दान देता है; उसका ज्ञान निरन्तर बढ़ता ही जाता है। 22. ज्ञान से ही मोक्ष प्रगट होता है। (आधार - रत्नकरण्ड श्रावकाचार : पं. सदासुखदासजी कृत अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोग भावना) maksD,KailadiData ANTIDARAMAR RANA (17)
SR No.009459
Book TitleNaksho me Dashkaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2013
Total Pages17
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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