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________________ सम्यक् चारित्र है । इन सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र की एकरूपता ही मोक्षमार्ग है, सुखी होने का सच्चा उपाय है। यद्यपि यह भगवान आत्मा अनन्त गुणों का अखण्ड पिण्ड है, अनन्त शक्तियों का संग्रहालय है; तथापि मोक्षमार्ग में प्रयोजनभूत जिन गुणों की चर्चा जिनागम में सर्वाधिक प्राप्त है, उनमें श्रद्धा, ज्ञान और चारित्र गुण प्रमुख हैं । इनमें ज्ञान गुण का कार्य सत्यासत्य का निर्णय करना है, श्रद्धा गुण का कार्य अपने और पराये की पहिचान कर अपने में अपनापन स्थापित करना है और अच्छे-बुरे का निर्णय हम अपने राग के अनुसार करते हैं। ध्यान रहे, राग चारित्र गुण की विकारी पर्याय है । इस जगत में कोई भी वस्तु अच्छी-बुरी नहीं है। उनमें अच्छे-बुरे का निर्णय हम अपने रागानुसार ही करते हैं। रंग न गोरा अच्छा होता है न साँवला, जिसके मन जो भा जाय, उसके लिए वही अच्छा है। हम गोरे रंग के लिए तरसते हैं और गोरी चमड़ी वाले यूरोपियन घंटों नंगे बदन धूप में इसलिए पड़े रहते हैं कि उनका रंग थोड़ा-बहुत हम जैसा साँवला हो जावे । दूसरों की बात जाने भी दें, हम स्वयं अपना चेहरा गोरा और बाल काले पसन्द करते हैं। जरा विचार तो करो, यदि मैं स्वयं भगवान हूँ २६
SR No.009457
Book TitleMain Swayam Bhagawan Hu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla, Yashpal Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2009
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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