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________________ 42 प्रकरण दूसरा उत्तर - अगुरुलघुत्व गुण से ' प्रश्न 62 - अगुरुघुत्व गुण से विशेष क्या समझना ? उत्तर - (1) कोई भी द्रव्य अन्य द्रव्य के आधीन नहीं है। (2) एक द्रव्य दूसरे द्रव्य का कुछ नहीं कर सकता । (3) द्रव्य का एक गुण उसी द्रव्य के दूसरे गुण का कुछ नहीं कर सकता। (4) किसी द्रव्य की पर्याय अन्य द्रव्य की पर्याय में कुछ नहीं कर सकती; वे एक दूसरे के आधीन नहीं है। - (5) अगुरुलघुत्व गुण का ऐसा यथार्थ स्वरूप जानने से जगत् के छहों द्रव्यों के द्रव्य-गुण- पर्याय भिन्न-भिन्न स्वतन्त्र हैं और मैं ज्ञानस्वभावी आत्मा उन सबसे भिन्न हूँ - इस प्रकार भेदज्ञानरूपी अपूर्व धर्म प्रगट होता है। प्रश्न 63 - एक द्रव्य में रहनेवाले गुण परस्पर एक-दूसरे का कार्य करते हैं ? - नहीं करते तो उनकी व्यवस्था कैसी है ? उत्तर - अगुरुलघुत्व गुण के कारण एक गुण दूसरे गुणरूप नहीं होता, इसलिए एक गुण का कार्यक्षेत्र दूसरे गुण में नहीं जाता ऐसा होने से एक द्रव्य में भी एक गुण, दूसरे गुण का कार्य नहीं कर सकता, किन्तु प्रत्येक गुण नित्य परिणामस्वभावी होने से प्रति समय अपनी नयी-नयी पर्यायें उत्पन्न करता है, उसमें दूसरे गुण की पर्यायें निमित्तमात्र कही जाती हैं। एक गुण की वर्तमान पर्याय कार्य होने में दूसरे गुण की वर्तमान पर्याय निमित्त कहलाती है। - इस प्रकार एक द्रव्य के आश्रित गुणों में भी स्वतन्त्रता होने से एक गुण का दूसरे गुण के साथ कर्ता-कर्म सम्बन्ध नहीं है । -
SR No.009453
Book TitleJain Siddhant Prashnottara Mala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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