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________________ श्री जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला उत्तर - ऐसा माना जाए तो द्रव्य के आश्रय से गुण न रहेंगे और जितने गुण हैं, उतने अलग-अलग द्रव्य हो जाएँगे, तथा इस द्रव्य का यह गुण है - ऐसी मर्यादा नहीं रहेगी । प्रश्न 22 - गुण की व्याख्या में द्रव्य-क्षेत्र - काल और भाव किस प्रकार आते हैं ? उत्तर - (1) ‘द्रव्य' द्रव्य को बतलाता है। (2) 'सम्पूर्ण भाग में' - यह क्षेत्र बतलाता है। (3) 'सर्व अवस्थाओं में' यह काल बतलाता है । 31 - (4) 'गुण' - यह भाव बतलाता | प्रश्न 23 - द्रव्य और उसके गुणों में, द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव की तुलना करो। उत्तर - द्रव्य और गुण के द्रव्य-क्षेत्र और काल एक - से है; किन्तु उनके भावों में अन्तर है । प्रश्न 24 - द्रव्य और गुणों में संज्ञा, संख्या और लक्षण की अपेक्षा से भेद बतलाओ ? उत्तर- (1) संज्ञा- दोनों के नाम में भेद है। ( 2 ) संख्या - द्रव्य एक और गुण अनेक होते हैं । - यह द्रव्य का ( 3 ) लक्षण - 'गुणों का समूह, वह द्रव्य ' लक्षण है; और ‘जो द्रव्य के सम्पूर्ण भाग में तथा उसकी सर्व अवस्थाओं में रहे, वह गुण' - यह गुण का लक्षण है । इस प्रकार लक्षण से भी द्रव्य और गुण में भेद है। प्रश्न 25- प्रत्येक गुण के कार्यक्षेत्र की मर्यादा क्या है ?
SR No.009453
Book TitleJain Siddhant Prashnottara Mala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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