SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 31
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बारहभावना : एक अनुशीलन २३ है; किन्तु वे तो स्वभाव से ही क्षणभंगुर हैं, विनाशीक हैं; अतः उनका स्थाई रहना तो असंभव ही है। यही कारण है कि उसका यह प्रयत्न बालू में से तेल निकालने जैसा ही निरर्थक सिद्ध होता है। श्रम से थकावट एवं बारबार असफलता से खिन्नता बढ़ती है। परिणामस्वरूप निरन्तर आकुलताव्याकुलता बढ़ती ही रहती है। अनन्त असफलताओं के बावजूद भी यह अज्ञानी आत्मा उसी दिशा में प्रयत्नशील रहता है; क्योंकि सुखप्राप्ति का सच्चा मार्ग तो प्राप्त हुआ नहीं और दुःख भी सहा जाता नहीं; अतः जो भी सूझता है, वही करता रहता है। ___ यह सम्पूर्ण स्थिति संयोगों व पर्यायों के परिणमनशील स्वभाव के सम्यक् ज्ञान-श्रद्धान न होने से ही बन रही है; अत: अनित्यभावना में संयोगों व पर्यायों की अनित्यता-क्षणभंगुरता का चिन्तन किया जाता है। इस संदर्भ में आचार्यकल्प पण्डित टोडरमलजी का निम्नांकित कथन द्रष्टव्य है - "तथा इस संसारी के एक यह उपाय है कि स्वयं को जैसा श्रद्धान है; उसी प्रकार पदार्थों को परिणमित करना चाहता है। यदि वे परिणमित हों तो इसका श्रद्धान सच्चा हो जाये; परन्तु अनादिनिधन वस्तुएँ भिन्न-भिन्न अपनी मर्यादासहित परिणमित होती हैं, कोई किसी के आधीन नहीं है, कोई किसी के परिणमित कराने से परिणमित नहीं होतीं। उन्हें परिणमित कराना चाहे, वह कोई उपाय नहीं है, वह तो मिथ्यादर्शन ही है। तो सच्चा उपाय क्या है? जैसा पदार्थों का स्वरूप है, वैसा श्रद्धान हो जाय तो सर्वदुःख दूर हो जाये। जिसप्रकार कोई मोहित होकर मुर्दे को जीवित माने या जिलाना चाहे तो आप ही दुःखी होता है। तथा उसे मुर्दा मानना और यह जिलाने से जियेगा नहीं - ऐसा मानना सो ही उस दुःख के दूर होने का उपाय है। उसीप्रकार मिथ्यादृष्टि होकर पदार्थों को अन्यथा माने, अन्यथा परिणमित करना चाहे तो आप ही दुःखी होता है। तथा उन्हें यथार्थ मानना और यह परिणमित कराने से अन्यथा परिणमित नहीं होंगे - ऐसा मानना सो ही
SR No.009445
Book TitleBarah Bhavana Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2006
Total Pages190
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy