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________________ आत्मा ही है शरण 154 हैं कि जिसकी माँ मेले में खो गई हो । एक पाँच वर्ष का बालक माँ के साथ मेला देखने गया था । मेले की अपार भीड़ में वे दोनों बिछुड़ गये । एक पुलिस चौकी पर माँ पहुँची और उसने बेटा खोने की रिपोर्ट लिखाई, दूसरी पुलिस चौकी पर बेटा पहुंचा और उसने माँ के खोने की रिपोर्ट लिखाना चाही। पर उसकी रिपोर्ट को सही रूप में कोई लिखता ही नहीं है । इन्सपेक्टर ने कांस्टेबल से पूछा - "कौन है ?" काँस्टेबल ने उत्तर दिया - "एक खोया हुआ बालक आया है ।" वालक ने बीच में ही टोकते हुए कहा - "इन्सपेक्टर साहब मैं नहीं, मेरी माँ खोई है; मैं तो आपके सामने ही खड़ा हूँ ।" । ___ डपटते हुए काँस्टेबल वोला - "चुप रह, कहीं माँ भी खोती है ? खोते तो बच्चे ही हैं ।" ___ आखिर उन्होंने यही रिपोर्ट लिखी कि एक खोया हुआ वालक आया है। जो भी हो अब बालक से पूछताछ आरम्भ होती है । "क्यों भाई, तुम्हारा नाम क्या है ?" "पप्पू" "तुम्हारी माँ का क्या नाम है ?" "मम्मी' "तुम कहाँ रहते हो ?" "अपने घर में" बालक के ऐसे उत्तर सुनकर पुलिसवाले आपस में कहते हैं कि जब यह बालक अपनी माँ को पहिचानता ही नहीं है, उसका नाम तक भी नहीं जानता है तो इसकी माँ को कैसे खोजा जाय ?
SR No.009440
Book TitleAatma hi hai Sharan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1998
Total Pages239
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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