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________________ आत्मा ही है शरण 150 सेन्टर के हाल में एवं तीसरे दिन किशोरभाई शेठ के घर पर प्रवचन व चर्चा के कार्यक्रम रखे गये । प्रवचनों का मूल विषय क्रमबद्धपर्याय ही था। चर्चा भी इसी विषय पर चली । रोचेस्टर में चल रही क्रमबद्धपर्याय संबंधी क्रान्ति की चर्चा पहले की ही जा चुकी है । यहाँ का वातावरण अभी पूर्णतः क्रमबद्धपर्यायमय है । __ यहाँ के जैन सेन्टर के अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र दोशी हैं और मंत्री हैं दीपक मणिहार । यहाँ से दीपक मणिहार हमें कार द्वारा टोरंटो ले गये । रास्ते भर क्रमबद्धपर्याय की ही चर्चा करते रहे । ___ सर्वत्र ही लोगों में क्रमबद्धपर्याय के सम्बन्ध में भारी उत्सुकता है । सवकुछ मिलाकर निष्कर्ष यह है कि अमेरिका में क्रमवद्धपर्याय के सन्दर्भ में भारी मंथन चल रहा है । लोगों में स्वाध्याय की प्रवृत्ति बढ़ी है और वे लोग गहराई से आध्यात्मिक अध्ययन कर रहे हैं । क्रमवद्धपर्याय के सन्दर्भ में कहाँ क्या कहा - यह लिखने की आवश्यकता नहीं है, क्योकि क्रमबद्धपर्याय पर तो पूरी पुस्तक ही लिखी गई है, जो छह भाषाओं में सभी को उपलब्ध है । ___ सम्पूर्ण भारतवर्ष में विगत दो वर्षों से आचार्य कुन्दकुन्द द्विसहस्राब्दी समारोह बड़े ही उत्साह से मनाया जा रहा है । इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने गत वर्ष की विदेशयात्रा में लगभग सर्वत्र ही कुन्दकुन्द शतक की गाथाओं पर प्रवचन किये थे और इस वर्ष शुद्धात्मशतक की गाथाओं को प्रवचन का आधार बनाया था । शुद्धात्मशतक में आचार्य कुन्दकुन्द के पंचपरमागमों की शुद्धात्मा सम्बन्धी १०१ गाथाएँ संकलित हैं । इस वर्ष के प्रवचनों में शुद्धात्मशतक की जिन प्रारंभिक गाथाओं को मूल आधार बनाया गया था, वे मूलतः इसप्रकार है
SR No.009440
Book TitleAatma hi hai Sharan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1998
Total Pages239
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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