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________________ आत्मा ही है शरण सकता है कि सम्पूर्ण नगर की कैसी दुर्दशा हुई होगी ? अनेक चित्रों में उन लोगों की दुर्दशा का चित्रण है, जो लोग अणुबम के शिकार हुए थे। 146 सबकुछ मिलाकर उसे देखकर लौटने वाले व्यक्ति के मन पर ऐसा प्रभाव पड़ता है कि उसमें एक ओर इस पाशविकता के प्रति गहन अवसाद होता है तो दूसरी ओर इस महान संकट से गुजरने के बाद भी जिस तेजी से विकास हुआ है, उसे देखकर जापानियों के पुरुषार्थ के प्रति ह्रदय श्रद्धा से भर उठता है । गोरे-भूरे, दुबले-पतले, नाटे कद के जापानी लोग बड़े ही परिश्रमी होते हैं । जापान की समृद्धि का कारण उनका परिश्रमी होना तो है ही; साथ ही हथियारों पर कुछ भी खर्च न होना भी एक सशक्त कारण है । द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद हुई संधि के कारण वे हथियारों के विकास के लिए प्रतिबंधित हैं, उनकी सुरक्षा की संपूर्ण जिम्मेदारी अमेरिका की है । - यह अभिशाप उनकी आर्थिक समृद्धि के लिए वरदान साबित हुआ है । निरन्तर प्रगतिशील औद्योगिक विकास के कारण आज जापान विश्व - व्यापार के क्षेत्र में सर्वाधिक प्रभावी सिद्ध हो रहा है । आज जापान दुनिया का सबसे महंगा देश है । किसी बड़े होटल में एक कप चाय पीने में आपके साठ रुपये खर्च हो जायेंगे । इसकारण यहाँ पर्यटक बहुत कम आते हैं । विश्व भ्रमण के जितने भी पर्यटन ट्यूर बनते हैं, उनमें लगभग जापान को शामिल नहीं किया जाता है । परिणामस्वरूप दुनिया के पर्यटक हिरोशिमा और नागासागी के उन पर्यटन स्थलों को देखने से वंचित रह जाते हैं, जिनके देखने से आधुनिक विनाशकारी शस्त्रों के विरुद्ध जनमत बनता है, अहिंसा और शान्ति के पक्ष में वातावरण बनता है। जापान की महंगाई का कारण यह है कि वह विश्व व्यापार में अपना स्थान बनाये रखने के लिए बाहर तो वस्तुएँ सस्ती भेजता है, पर अपने
SR No.009440
Book TitleAatma hi hai Sharan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1998
Total Pages239
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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