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________________ जलाता है और कदाचित् नहीं भी जलाता है। प्राणियों का वास्तविक शत्रु यह क्रोध ही है, क्योंकि वह उनके दोनों लोकों के नाश, पाप संचय, नरक प्राप्ति व स्व-पर अहित का कारण है। क्षमा की मूर्ति सुखिया माँ की एक सत्य घटना है | सुखिया माँ मध्यप्रदेश के एक गाँव में रहती थी। उसके पुत्र का नाम किशन था। पास ही में बिरजू रहता था। किशन और बिरजू बड़े पक्क मित्र थे। साथ ही में रहते, खेलत, खाते | सुखिया दोनों को अपनी संतान मानती थी। किशन और बिरजू के खेत भी पास-ही-पास थे। दोनों की फसलें लहलहातीं और दोनों मज से गाना गाते थे। वे कभी झगड़ते नहीं थे। एक दिन बिरजू के बैल किशन के खेत में घुस गये | उन्होंने आधा खेत चर डाला। किशन को बहुत क्रोध आया | वह बैलों को हाँककर काँजी हाउस ले जाने लगा। इसी बीच बिरजू भी वहाँ पहुँच गया। दोनों में पहले कहा-सुनी हुई, इसके बाद दोनों ने अपनी-अपनी लाठियाँ निकाल लीं। पहली लाठी बिरजू को सामान्य रूप स कंधे पर लगी। पर इसने लाठी का जवाब जोरदार ढंग से दे दिया और किशन के माथे पर भरपूर लाठी का वार किया। किशन वहीं बेहाश हो गया। उसकी गंभीर स्थिति देखकर बिरजू भाग गया । अब तक किशन और बिरजू का झगड़ा देखकर आसपास के खतवाले इकट्ठे हो गये थे। किशन की माँ सुखिया भी पहले ही वहाँ आ गई थी। वहाँ का दृश्य देखकर वह मूर्छित हो गई। छः किलोमीटर दूर पगारा के अस्पताल में किशन को ले जाया गया, पर सिर पर घातक प्रहार होने से वह बच नहीं सका। जब अपने पुत्र किशन की मृत्यु का समाचार सुखिया माँ को मिला ता वह पागलों की तरह प्रलाप करने लगी। चार माह बाद ही वह अपनी पुत्रवधू को लानेवाली थी। पर (52)
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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