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________________ उल्लू को दिन में दिखाई नहीं देता, किन्तु कामान्ध पुरुष को न दिन में कुछ दिखता है, न रात में । कुशील पाप से बचने के लिये अपने मन को वश करना चाहिये । मन के वशीकरण का सीधा उपाय है वस्तु के यथार्थ स्वरूप को जाने और निज स्वभाव की सतत भावना भावें । शील की महिमा तो जगत - प्रसिद्ध है, शील से ही स्त्री पुरुषों का जीवन-स्तर ऊपर उठ जाता है । यह शील का ही तो प्रभाव था, जैसा पढ़ते हैं कि "सीता - प्रति कमल रचाओ, द्रोपदी को चीर बढ़ाओ" और 'सूली सिंहासन कीना' आदि । शील के प्रभाव से सीता का अग्नि कुण्ड कमल - युक्त जलकुंड बन गया और द्रोपदी का चीर बढ़ता गया, सेठ सुदर्शन की सूली सिंहासन बन गई, आदि । यह ब्रह्मचर्य का ही प्रताप था कि नेमिनाथ भोजवंशी राजा के घर बड़ी भारी बारात के साथ पधारे, किन्तु अहिंसा व्रत के कारण अपने साथ आये हुये मांस भक्क्षी लोगों के भोजन के लिये एकत्रित किये गये पशु-पक्षियों पर करुणा करके उनका छुड़वा दिया और अत्यन्त रूपवान राजकुमारी राजुल के साथ विवाह का त्याग कर साधु बन गये। सभी ने नेमिनाथ से विवाह करने की अनेकों प्रार्थनायें कीं, किन्तु अटल ब्रह्मचारी नेमिनाथ पर कामदेव का रंचमात्र भी प्रभाव न पड़ा । ब्रह्मचर्य व्रत महान दुर्धर व्रत है । यदि कठिन चीज पर अपना वश हो जाये तो वह प्राणी सदा के लिये सुख का मार्ग पा लेगा। इन विषयों की आशा को दूर करके इस दुर्धर धर्म का अच्छी तरह से पालन करना चाहिये । जिन्होंने भी अपने ब्रह्मचर्य व्रत का दृढ़ता से पालन किया, वे अमर हो गये । 619
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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