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________________ विरोध होता है तो उसे क्राध आ जाता है। जब हमारी अपेक्षा की उपेक्षा होती है, ता हम क्राध आ जाता है। यदि हम अपनी आकांक्षाओं को कम करें, अपेक्षाओं को खत्म करें ता क्रोध करने से बच सकते हैं| कमजोर आदमी का लक्षण ही क्रोध है | आदमी जितना कमजोर होगा, उतना ही अधिक क्रोध आयेगा। जब हमसे कोई शक्तिशाली मिलता है और जब वह हमारा प्रतिकार करता है और यदि हम उसका प्रतिकार करने में समर्थ न हुये, तो निश्चित ही हमारा मन क्रोध की अग्नि में झुलस जाता है। क्रोध से बचने के लिये हमें चाहिए कि हम कमजोर न बनं । हमारे अन्दर धैर्य, साहस और संबल होना चाहिये। क्रोध का आवेग आये तो संयम का ब्रक हमारे पास होना चाहिये | गाड़ी जब ढलान पर हो तो ब्रेक पर पैर हाना जरूरी है, नहीं तो कभी भी दुर्घटना घट सकती है। क्रोध की गाड़ी की विशेषता है कि वह हमेशा ढलान पर चलती है | घाट (ऊँचाई) पर क्रोध चढ़ ही नहीं सकता है । अर्थात् क्रोध हमशा अपने से नीचेवालों पर उतरता है | पति-पत्नी में यदि आपस में बातचीत हो जाये तो उनका क्रोध बच्चों पर निकलता है। बच्चा अपना क्रोध मम्मी-पापा पर नहीं निकाल सकता है, बच्चे का क्रोध नौकरानी पर निकलता है। नौकरानी अपना क्रोध कपड़ों पर निकाले गी। कपड़ों को धोते समय जोर-जोर से पीटेगी और दखना, उस दिन कपड़े कुछ ज्यादा साफ धुलेंगे । क्रोध से बचने के लिए आवश्यक है कि हम कमजोर न बनें | इस क्रोध ने आपको बहुत दुःख दिया है, अतः अब तो संभल जाओ | यदि अब भी क्रोध पर काबू नहीं किया तो अन्त में बहुत पछताना पड़ेगा। क्षमा हमारा स्वभाव है। उसे किसी भी परिस्थिति में नहीं छोड़ना चाहिये। 35)
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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