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________________ वाला नहीं है | सत्य का सहारा लो तुम्हारा भला होगा। हमारे जीवन में सत् आना चाहिए, हमारा व्यवहार सत्य से जुड़ना चाहिए। लकड़हार की कहानी सब ने सुनी है, लकड़हारा सत्यवादी था। लकड़ी काट कर लाता था और उसी से अपनी जीविका चलाता था। उसकी कुल्हाड़ी जब नदी में गिरी और देवता ने प्रकट होकर पहले सोने की कुल्हाड़ी निकाली, फिर चाँदी की निकाली, उसने दोनों स्वीकार नहीं की। जब लोहे की कुल्हाड़ी निकाल कर दी तो उसने स्वीकार कर ली। वह बड़ा सत्यवादी था । कलयुग के लकड़हारे की एक नई कहानी और सुनाता हूँ | कलयुग का कोई सत्यवादी लकडहारा लकड़ी काटने के लिये गया। पत्नी भी उसका साथ देती थी। लकड़ी काट कर गट्ठा लिये वह वापस आ रहा था कि अचानक देखता है कि उसकी पत्नी नदी में गिर गई | लकड़हारा बड़ा दुःखी हुआ | गृहस्थी का काम अब कैस चले गा? वो तो घर बाहर हमेशा साथ देती थी। अब ता हमारा आधा काम बंद हो जाएगा। मेहनत मजूरी में भी अब कौन-साथ देगा। इस तरह सोचता हुआ चिन्तित वह एक तरफ बैठ गया । वह सोचने लगा मैं भी तो सच्चाई का व्यवहार करता हूँ। इसलिये हमारी रक्षा करने के लिए भी काई-न-कोई देवता प्रकट होगा। देवता प्रकट भी हुये | लकड़हार ने अपनी व्यथा देवता क सामन कही। मरी पत्नी नदी में गिर गई है। देवता महाराज! कृपा करो और जल्दी से उसे नदी से निकलो नहीं तो हमारा जीवन ही मुश्किल में पड़ जाएगा | देवता प्रसन्न हुआ उसक श्रम और सत्य से | दवता ने नदी में डूबकी लगाई। उसने सबसे पहले सुन्दर-सी एक दव कन्या निकाली और कहा कि क्या यह अपकी पत्नी है? लकड़हारे ने तुरन्त हाँ कह दिया | देवता को बड़ा आश्चर्य हुआ। उसे यह उम्मीद ही नहीं थी (323)
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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