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________________ बैगन रखा है अर्थात् बेगुण/ गुण रहित | यह नई व्याख्या सुनकर अकबर ने कहा उस दिन तो तुमने बैगन की खूब प्रशंसा की थी और आज तुम बुराई करने लगे, ऐसा क्यों? तो बीरबल ने हाथ जोड़े और कहा हुजूर! नोकरी ता आपकी कर रहे हैं, न कि बैगन की । आप अच्छा कहोगे तो हम अच्छा कहेंगे और आप बुरा कहोगे तो हम बुरा कहेंगे | यह प्रिय झूठ है। ऐसा झूठ भी नहीं बोलना चाहिये । रवीन्द्रनाथ टैगोर ने लिखा है कि सत्य भले ही सूली पर लटकाया गया हा, किन्तु सूली पर लटकन के बाद भी सत्य, सत्य ही है और सिंहासन पर बैठने के बाद भी असत्य, असत्य ही है। भले ही वह सिंहासन पर क्यों न बैठा हो। सत्यवादी की परीक्षा होती है, सत्यवादी को संघर्ष भी करने पड़ते हैं, दर-दर की ठाकरें भी खाना पड़ती हैं, किन्तु अन्ततः यश उसी के हाथ लगता है। देखिये एक झूठ का रहस्य कैसे खुला | कई बार ऐसा होता है कि थोड़ा-सा भी अवसर मिले तो हम सारा-का-सारा काम बनाना चाहते हैं। एसे अवसर की तलाश में ही हम रहते हैं। एक सज्जन को वाहन की टक्कर लगी, टक्कर मामूली थी, पर उसे तो मानों मौका मिल गया। हाथ में जरा छिला ही था कि हाय-ताबा मचा-दी। अरे मर गया रे, मेरा ता हाथ ही टूट गया। चिल्लाना शुरू कर दिया उसने और मुआवजा लेने के हिसाब से क्लेम कर दिया । अदालत में उसे जाना पड़ा | जिस दिन उसे मामूली सी टक्कर लगी थी उसी दिन से भईया जी हाथ में पट्टी बांधे लोगों की सहानुभूति लूट रहे थे | जज साहब के सामने उसने अपनी सारी बात रखी, पक्ष प्रस्तुत किया | जज ने पूछना शुरू किया, आपको टक्कर कैसे लगी? उसने बताया कि मैं अपनी साइड से जा रहा था, चलने में मेरी बिल्कुल भी गलती नहीं थी। पीछ से जान-बूझकर टक्कर मार दी, जिससे हाथ में फ्रेक्चर हो (321)
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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