SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 259
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ को ही जन्म देता है। यह त्रैकालिक सत्य है कि मन-वचन और काय के टेड़ेपन से आत्मा व परमात्मा के दर्शन कभी भी संभव नहीं है। हमें अपने मन को वश में रखना अनिवार्य है, अन्यथा मन जैसा नचायेगा हमें नाचना पड़ेगा। अनन्त-अनन्त युग समाप्त हो गये, होते जा रहे हैं, परन्तु यह मन कपट करना नहीं छोड़ता, मायाचारी का परित्याग नहीं करता। वास्तव में इस चंचल मन पर हमें सवार होना चाहिये था, इसकी बागडोर हमारे हाथ में होनी चाहिये थी, परन्तु दुर्भाग्य से आज वह हम पर सवारी कर रहा है। आर्जव धर्म को प्राप्त करने क लिये अपन मन, वचन, काय को सरल बनाओ। (244)
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy