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________________ सभी जगह नकली-ही-नकली चल रहा है। एक बार एक निरीक्षक महोदय अचानक स्कूल का निरीक्षण करने पहुँच गये | क्लास टीचर ने अचानक निरीक्षक महोदय को देखा और अपने-अपने स्थान पर पहुँच गये | निरीक्षक ने जाकर क्लास टीचर से कहा कि मैं आपक क्लास के छात्रों की परीक्षा लेना चाहता हूँ, जो पिछली कक्षा में मेरिट में आये थे । प्रथम आने वाले तीन छात्र क्रमश: मेरे पास आयें और मैं जो प्रश्न करूँ उसे बोर्ड पर हल करें। प्रथम आने वाला छात्र चुपचाप उठकर आगे आया । उसे जो प्रश्न दिया गया, उसने बोर्ड पर हल कर दिया और अपनी जगह वापिस जाकर बैठ गया। फिर दूसरा छात्र आया और उसने भी बोर्ड पर प्रश्न हल किया। और तीसरे छात्र को आने में जरा देर लगी। वह आया भी तो झिझकते हुये और बोर्ड क पास आकर खड़ा हो गया । उसे सवाल दिया गया और वह हल करने लगा। लेकिन तभी निरीक्षक को लगा यह तो पहला वाला ही विद्यार्थी है | अपना चश्मा उतारकर उन्होंने ठीक तरह से उसे दखा। निरीक्षक महोदय ने कहा-मुझे ऐसा लग रहा है कि तुम वही पहले नम्बर वाले विद्यार्थी हो । फिर से क्यों आ गये? उस विद्यार्थी ने कहा -सर! माफ कीजिये हमारी कक्षा का तीसरे नम्बर का विद्यार्थी पिक्चर देखने गया है, मैं उसके स्थान पर आया हूँ, वह मुझसे कहकर गया है कि मेरा कोई भी काम हो तो तुम कर देना । निरीक्षक महोदय यह सुनते ही आग बबूला हो गये और बहुत जोर से चिल्लाकर नाराज होने लगे-क्या मैं मूर्ख हूँ? क्या मैं अन्धा हूँ | क्या मुझे पागल समझ रखा है? आज जीवन में प्रथम बार देख रहा हूँ कि एक विद्यार्थी दूसर विद्यार्थी का प्रश्न हल कर रहा है | इससे पहले मैंने कभी सुना भी नहीं था । इससे बड़ा भ्रष्टाचार और (242)
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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