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________________ जिसकी धर्म पर श्रद्धा होती है, उसका कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता । मैसूर के राजा की धर्म पर अटूट श्रद्धा थी । वे मंदिर जाते समय अपने सारे अलंकारों का त्याग करके नंगे पैर दर्शन करने जाते थे । वे मन में विचार करते थे कि भगवान तो सब कुछ छोड़ दिया है, मुझे भी भगवान के दर्शन को जाते समय थोड़ा-सा त्याग करना चाहिये । वे सभी वस्तुओं का त्याग करके हाथ में पूजन-सामग्री लेकर अत्यन्त श्रद्धा व विनय पूर्वक मंदिर में जाते थे । जलाभिषेक होने के बाद वह पुजारी प्रतिदिन राजा को गंधोदक देता था। गंधोदक को पवित्र समझकर राजा अंजुली में लेकर पीते थे और जो हाथ में बचता था, वह अपने शरीर पर लगाते थे । ऐसा वह प्रतिदिन करते थे । दुनिया में सभी लोग अच्छे नहीं होते कपटी / मायाचारी भी होते हैं । ऐसे ही कुछ लोगों के भाव राजा के प्रति भी अच्छे नहीं थे । उन लोगों ने कपट रचाया कि पुजारी को पैसों का लालच देकर राजा को मार डालना चाहिये। उन लोगों ने अपनी कपट लीला प्रारंभ कर दी । धन का लोभी क्या नहीं कर सकता? मुर्दा भी धन का नाम सुनकर मुँह फाड़ लेता है। ऐसी कहावत है । वे लोग मंदिर में गये और पुजारी से कहा- तुम राजा को जो गंधोदक देते हो, उसमें विष मिलाकर देना । हम तुम्हें मुँह माँगा इनाम देंगे । लालच में आकर उस पुजारी ने हाँ भर दी और दूसरे दिन गन्धोदक देते समय उसके हाथ काँपने लगे, उसे पसीना आ गया । जब राजा ने गंधोदक लेने के लिये अपनी अंजुली को बढ़ाया तो वह पुजारी पीछे हटने लगा, उसकी इस प्रकार चल-विचल अवस्था देखकर राजा ने उससे पूछा तुम्हें क्या हो गया है, बुखार आया है क्या? पुजारी ने कहा- नहीं कुछ नहीं हुआ। तो राजा बोला- फिर तुम ऐसा क्यों कर रहे हो? वह 236
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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