SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 242
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषय-कषाय की ही चर्चा करते हैं। हम अपने मन, वाणी को पवित्र बनाने के लिये इन विषय-कषायों को छोड़ कर आर्जव धर्म को जीवन में धारण करें। हमें सदा सत्य के, धर्म के मार्ग पर चलना चाहिये | जो धर्मात्मा होगा, जिसका जीवन सरल होगा, उससे कभी पाप नहीं हो सकेगा। कबीरदास जी हमेशा धर्म में लगे रहते थे। एक बार उनके पुत्र कमाल ने कहा-पिताजी! आप तो दिन-रात धर्म में लगे रहते हो, एसे घर-गृहस्थी थोड़े चलती है, घर का खर्च कैसे चलेगा? कहो तो हम चोरी कर लेते हैं | कबीरदास जी बाले-क्या ऐसा हो सकता है, चोरी की जा सकती है, तो ठीक है, चोरी कर लो। कमाल ने सोचा ये बने ता फिरत है बड़े धर्मात्मा, और कह रहे हैं चोरी कर लो। आज इनकी पोलपट्टी समझ में आ गई। ___दोनों पिता-पुत्र चोरी करने गये | कमाल एक घर में घुस गया और कबीरदास जी बाहर खड़े हाकर पहरा देने लगे। थोड़ी देर बात कमाल कुछ सामान बांधकर बाहर आया, तो कबीरदास जी बोले-बता दिया उन लोगों का कि नहीं। कमाल बोला-आप कैसी बात करते हैं? चोरी करते समय बताया थोड़ी जाता है। उन्हें तो पता तक नहीं चला | कबीरदास जी बोले-नहीं, बता दो उनको कि हम ये सब ले जा रहे हैं, नहीं तो वे लोग सुबह से व्यर्थ में पेरशान होंगे | अब बताआ जो इतना सरल हो, वह कभी गलत काम कर सकता है क्या? जो सच्चा, सरल होता है, उससे कभी पाप नहीं हो सकता है। ___ बाबा भारती की घटना सबने सुनी है, वे कितने सरल थे | बाबा भारती का अपना घोड़ा बहुत प्रिय था, पर जब एक डाकू भिखारी का भेष बनाकर, छल से उनका घोड़ा ले जाने लगा, तो बाबा भारती (227
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy