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________________ बनाया है। अब यदि हमें मोक्ष मार्ग पर चलना है, तो वक्रता को छोड़कर सरलता को जीवन में अपनाना होगा | पानी का स्वभाव यद्यपि ठंडा होता है, परन्तु जब पानी अग्नि के सम्पर्क में आता है तो गरम हो जाता है | इसी प्रकार हमारी आत्मा का स्वभाव सरल है, मृदु है, कुटिलता से रहित है, परन्तु कषायों की संगति के कारण वह विकृत हो गया है। प्रायः देखा जाता है जिसको जैसा संग मिल जाता है, वह वैसा ही बन जाता है | यूनान देश में एक चित्रकार ने एक सुंदर स्वस्थ बालक का चित्र बनाया। बालक क मुखमण्डल पर सरलता और सौम्यता झलक रही थी। अतः वह चित्र सजीव-सा प्रतीत होता था। सभी ने उसके चित्र को बहुत पसंद किया और उसे मुँहमाँगे पैसे दिये | कुछ वर्षों के बाद उस चित्रकार ने सोचा पहले मैं ने सुन्दर-से-सुन्दर बालक का चित्र बनाकर पुरस्कार प्राप्त किया था, अब मुझ भयानक-से-भयानक कुरूप व्यक्ति का चित्र बनाना चाहिये | वह चित्रकार सबसे भयानक व कुरूप व्यक्ति की खोज देश-विदेशों में करता-करता एक बंदीगृह में पहुँच गया। वहाँ उसे एक काला कलूटा बहुत ही डरावना कैदी नजर आया। वह चित्रकार ऐसे ही भयानक व्यक्ति की खोज में था | उसने पेपर और तूलिका लेकर उस वीभत्स मनुष्य का चित्र बनाना प्रारंभ किया। __ वह कैदी बोला-आप मेरा चित्र क्यों बना रहे हैं? मुझ-जैसे कुरूप व्यक्ति का चित्र बनाकर आपको क्या मिलेगा? चित्रकार बोला बहुत वर्षों पहले मैंन एक बहुत ही सुन्दर बालक का चित्र बनाया था, अब मैं उसक विपरीत सबस भयानक व कुरूप व्यक्ति का चित्र बनाना चाहता हूँ | मैं सभी जगह भटका, लेकिन तुम्हारे-जैसा कुरूप (207
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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