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________________ और यह बच्चा है, इसके अलावा अभी और कोई यहाँ आया नहीं, फिर मेरी अँगूठी कहाँ चली गई? चोरनी बोली- मैं चोरनी हूँ और मेरा पति चोर है । अतः हम दोनों के संस्कार इस बच्चे में भी आ गये हैं । इस बच्चे ने ही आपकी अँगूठी चुराई होगी । उस बच्चे की मुट्ठी खोलकर देखी तो उसमें वह अँगूठी मिली । बच्चे ने पैदा होते ही अँगूठी पर हाथ मारा और उसे अपनी मुट्ठी में बन्द कर लिया । हमारे आचरण का प्रभाव बच्चों पर भी पड़ता है। इसलिये यदि हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे संस्कारवान बनं, तो हम अपने जीवन को सरल व पवित्र बनायें । एक बार नैनागिर जी में शिविर लगा था । वर्णी जी ने एक बच्चे से पूछा कि ये बताओ जब तुम तीन वर्ष के थे, तब झूठ बोलते थे? वह बोला- नहीं | 4 वर्ष के हुये तब ? नहीं । पाँच-छह वर्ष के हुये तब ? थोड़ा-थोड़ा । और अब? अब तो भरपूर उन्होंने हजारों व्यक्तियों की उस भरी सभा में उससे पूछा कि यह तो बताओ कि तुमने यह झूठ बोलना कहाँ से सीखा? वह बोला- मम्मी को देखकर, मम्मी जब पापा की जेब में से रुपये निकाल कर रख लेतीं और पापा जी पूछते, तब कह देतीं कि मैं क्यों निकालती? आपने किसी काम से खर्च कर दिये होंगे । जब मम्मी ऐसा करतीं तो मैंने भी मम्मी के पर्स में से पैसे निकालना शुरू कर दिया। जब वह मुझसे पूछें- क्यों, तुमने पैसे निकाले हैं? तब मैं भी कह देता कि मैं आपके पैसे क्यों निकालता? आप कहीं मंदिर में डाल आयीं होगी। इस तरह मम्मी पापा से झूठ बोलतीं और मैं मम्मी से झूठ बोल देता था । बस धीरे-धीरे आदत बन गई । हमारे व्यवहार से बच्चे तुरन्त प्रभावित होते हैं । अगर बड़ों ने 203
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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