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________________ उसका प्रसाद है। मीरा को क्या पता था कि ये मानव बाहर से प्रसाद कहते हैं और अंदर से जहर घोलकर देते हैं। पी गई बेचारी। प्रसाद मानकर पी गई और मरी नहीं। मरी नहीं, यह क्या हो गया? राणा ने कहा - मैंने बिल्कुल जहर दिया था, फिर मीरा कैसे बच गई? एक धर्म मार्गी है, एक कपट मार्गी है। एक निश्छल आत्मा को दुनिया की कोई ताकत नहीं मार सकती | जहर दिया था, मीरा पी गई, क्योंकि मीरा के पास धर्म मार्ग था और राणा के पास कपट मार्ग था । राणा देखता रहा और मीरा बच गई। जैन धर्म में एक सोमा सती का उदाहरण आता है। पति ने लाकर एक घड़ा दिया उसे मारने के लिए, जिसमें नाग रखा था। वह कहता है कि तुम्हारे लिए हार लाया हूँ | वह निकालती है तो वह नाग 'हार' बन जाता है। पत्नी कहती है इतना सुन्दर हार तो मैं पहले तुम्हें पहनाऊँगी । और उसे पहनाती है। पति के लिए वह हार 'नाग' बन कर डस लेता है। कपटी के गले में हार भी नाग बन जाता है और आर्जव धर्म वाले के मन, वचन, काय सरल हैं, अतः उसके गले में नाग भी हार बन जाता है। यदि मायाचारी छोड़ना है ता मन, वचन, काय की एकता लाओ। अपनी आत्मा का स्वाद लेना है, अपने भीतर जाना है, तो सरल बनो । साँप जब बिल में जाता है, तो सीधा हो जाता है | यदि अपने बिल में सर्प प्रवेश करेगा, तो उसे सीधा होना ही पड़गा। सर्प की चाल टेढ़ी है। सर्प हमेशा टेढ़ा चलता है, लेकिन वह अपने घर (बिल) में जाता है, तो सीधा होना ही पड़ता है। इसी प्रकार जब तुम दुनिया में चलो, दुनिया के काम करो, तब तक भले ही टेढ़ बने (199)
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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