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________________ इसकी दवा तो आपके पास ही है। मैं ता आपकी शरीर के प्रति निर्मो हिता की प्रशंसा सुनकर देखने आया था | आप धन्य हैं, आपकी शरीर के प्रति निर्मो हिता धन्य है। वह महाराज की प्रशंसा करता हुआ चला गया। जिसने भी पर्यायबुद्धि छाड़ दी, अहंकार छोड़ दिया, वे ही धन्य हैं | आज तक जिसने भी अहंकार किया, निश्चित रूप से उसका पतन हुआ | अहंकार के कारण व्यक्ति दूसरे को नीचा दिखाने का प्रयत्न करते हैं, वे चाहते हैं कि येन-केन-प्रकारेण सामनेवाले को हम किसी प्रकार से भी मात दे दें | पर सामनवाला नीचे गिरे या न गिरे, पर जो दुनिया को नीच गिराने का प्रयत्न करता है, वह स्वयं नीचे अवश्य गिर जाता है। और जो दूसरों को ऊँचा उठाने का प्रयत्न करता है, वह निरन्तर ऊँचा उठता जाता है। एक आदमी कुआँ खोदता है तो जितना-जितना खोदता है, वह उतना-उतना नीचे जाता है और एक आदमी दीवाल चुनता है तो जितनी-जितनी उसकी दीवाल ऊँची होती जाती है, वह स्वयं भी उतना-उतना ऊँचा उठता जाता है। जो दूसरे को गिरान की कोशिश करेगा, वह उतना ही नीचे गिरता जायेगा और जो दूसरे को उठाने की कोशिश करेगा, वह उतना ही ऊँचा उठता जायेगा। आचार्य कुन्द-कुन्द स्वामी ने तिरुकुरल नामक ग्रंथ में बड़ी अच्छी बात लिखी है। यह ग्रंथ बड़ा अलौकिक ग्रन्थ है, इसे तमिल का वेद माना जाता है। इस ग्रन्थ में लिखा है कि जो व्यक्ति ईर्ष्या करत हैं, उनके घर से लक्ष्मी चली जाती है, और वह अपनी छोटी बहिन दरिद्रता को उनकी दखरेख के लिये छोड़ जाती है। उसके जीवन का विकास वहीं समाप्त हा जाता है। अपने एश्वर्य का विकास करना चाहते हो तो, ईर्ष्या पर अंकुश लगाने की जरूरत है। पर (164)
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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