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________________ उन्होंने अपने राज्य का भार अपने बड़े पुत्र राम को देकर सन्यास धारण करने का विचार कर लिया। यह राजा दशरथ के वैराग्य की घटना है। ___ संसार में तो कुछ भी स्थायी नहीं है। शाम को जिन रामचन्द्र जी के राज्य की तैयारियाँ हो रही थीं, उन्हीं रामचन्द्र को सुबह बनवास जाना पड़ा। ज्ञान का मद भी बहुत बड़ा मद है | ज्ञान तो हमारे मद को हरने का साधन है | ज्ञान हमारी जन्म-जरा की व्याधि का निवारण करनेवाला है, ज्ञान को कल्याण का साधन कहा गया है, पर आज व्यक्ति ज्ञान का भी अभिमान करने लगा है। जो यथार्थ ज्ञानी होते हैं, वे कभी ज्ञान का मद नहीं करते । जा ज्ञान का मद करता है, वह तो अभी अज्ञानी ही है। ज्ञान का मद अल्प ज्ञानियों को ही होता है | कहावत है – अधजल गगरी छलकत जाये | अर्थात् जब गगरी में जल थोड़ा होता है ता वह गिरता है और जब गगरी जल से लबालब भरी रहती है तो छलकने का नाम नहीं लेती। किसी नीतिकार ने लिखा है - जब मुझ थोड़ा-सा ज्ञान हुआ तो मैं हाथी की तरह मदोन्मत्त होकर अपने को सर्वज्ञ समझने लगा, परन्तु जैसे-जैसे विद्वानों की संगति से थोड़ा-थोड़ा ज्ञान बढ़ता गया, वैस-वैसे 'मैं सर्वज्ञ हूँ' यह मदरूपी ज्वर विदा होने लगा | जिनसनाचार्य जी ने लिखा है कि ज्ञान का अभिमान करना ज्ञान पर आवरण डालना है | जो भी ज्ञान का मद करता है, उसका पतन हो जाता है। ज्ञान के मद के बड़े ही बुरे दुष्परिणाम निकलते हैं | मान लीजिये ज्ञान के मद में आपने किसी-त्यागी व्रती का, किसी (146)
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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