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________________ फिर सीता को वापिस कर दूँगा। देखो, सीता को वापिस करना स्वीकार है, पर जीतकर, हारकर नहीं। सवाल सीता का नहीं, मूँछ का था, मान का था । मूँछ के सवाल पर सैकड़ों घर बर्बाद होते देखे जाते हैं। रावण से बढ़कर वैभवशाली शायद कोई नहीं होगा जो इतना अभिमान कर सके । रावण - जैसों का अभिमान स्थिर नहीं रहा, मिट्टी में मिल गया, लेकिन घमंड नहीं छोड़ा | इक लख पूत, सवा लख नाती, ता रावण घर, दिया न बाती । लंका-सी कोट, समुद्र-सी खाई, ता रावण की खबर न आई ।। बल के मद में अंधा हुआ व्यक्ति स्व-पर के हित-अहित का विचार नहीं करता। अंत समय में सभी का बल समाप्त हो जाता है । अतः बल का अहंकार करना भी व्यर्थ है । दतिया राज्य का एक पहलवान था । इसने अनेक जगह कई कुश्तियाँ लड़ीं। कई कुश्तियों में वह हारा भी, पर आगे चलकर वह विश्वविजेता बना। उसका नाम गामा पहलवान था । उसका चित्र देखने पर ऐसा लगता है जैसे चौथेकाल में पाँच पाँडवां में से भीम का ही चित्र हो । वैसी ही मूँछें, सीना एकदम तना हुआ, भुजायें फौलादी और पैर मजबूत खम्बों के समान । उस गामा पहलवान की एक बार सन् 1910 में लन्दन में कुश्ती हुई थी और जो दूसरा पहलवान था, वह अमेरिका से आया जिबिस्को नाम का पहलवान था। काफी देर तक कुश्ती चली, शायद दो से ढाई घंटे हो गये । सारी जनता रूमाल हिला रही, कब खत्म होगी यह कुश्ती ? अन्त में रेफरी ने दोनों के हाथ उठाकर कहा-ये मुकाबला ड्रा रहा। जब मुकाबला ड्रा हो गया, तो गामा ने उस अखाड़े की मिट्टी अपने सीने 144
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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