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________________ . है। वो हम तय कर लेंगे। यह अंग्रेजियत के कानून चलाने वाले पुढारी कौन होते हैं। देश हमारा हैं। समाज हमारा हैं। हम तय करेगें इस देश में क्या होना चाहिए क्या नहीं होना चाहिए। जितनी तीव्रता से हम हमारे घर के लिए कहते हैं उतनी तीव्रता से समाज के लिए कहें, देश के लिए कहेगें हमारे घर में हम तय करेगें अगर हम अपने घर के लिए अधिकार पूर्वक इतनी तीव्रता से कहते हैं तो देश के लिए क्यूँ नहीं कहते हैं कि हमारे देश में क्या करना है वो हम तय कर लेगे। यह अंग्रेजियत की संसद कौन होती हैं। या अंग्रेजियत के कानून चलाने वाले पुढारी कौन होते हैं। देश हमारा है। समाज हमारा है हम तय करेगें। इस देश में क्या होना चाहिए? क्या नहीं होना चाहिए। जितनी तीव्रता से हम हमारे घर के लिए कहते हैं उतनी तीव्रता से हम समाज के लिए कहें, देश के लिए कहें तो इस समस्या का समाधान पाँच मिनट में निकलता है। इससे ज्यादा उस दिन तक रखो जिस दिन तक उपयोग करना है। नहीं है तो खत्म करो उसको। तो हमारी सरकार इस समय युटिलिटी की थ्योरी में फंसी हुई हैं। और सरकार ही नहीं पुढारी भी उसमें फंसे हुए हैं तो तर्क क्या देते हैं - जी- जो जानवर उपयोगी नहीं हैं उनका कत्तल क्यूँ नहीं कर देना चाहिए। क्या हमारी मान्यता में ऐसा कहने का अधिकार किसी को है कि क्या उपयोगी है क्या उपयोगी नहीं है। क्योंकि जिसने यह प्रकृति बनायी है तो वो कहें तो समझ में आता है कि यह उपयोगी है और यह उपयोगी नहीं है। तुमने तो कुछ नहीं किया है इस प्रकृति में। तुम कौन होते हो तय करने वाले कि यह उपयोगी है या यह उपयोगी नहीं है। और अगर यही प्रश्न मान के चले कि गाय दूध नहीं देती तो उपयोगी नहीं हैं। भैंस दूध नहीं देती तो उपयोगी नहीं हैं इसलिए इन का कत्तल करो। तो उनसे पूछो कि यह थ्योरी देते हैं कि भाई थोड़े दिन के बाद तो तुम्हारी आई (माँ) भी दूध नहीं देती तो पूछेगे ना वो भी उपयोगी नहीं है उसको भी कत्तल करो और थोड़े दिन के बाद तुम्हारे वडील (बड़े बुजुर्ग) किसी काम के नहीं हैं। वो भी उपयोगी नहीं हैं तो उनको भी कत्तल करो। थ्योरी ऑफ युटिलिटी तो बहुत खतरनाक है। अगर आप ऐसे ही अपने जीवन को चलायेंगे की क्या उपयोगी है क्या उपयोगी नहीं है। तो थोड़े दिन के बाद तो आपके लिए कुछ भी उपयोगी नहीं होगा। जो कत्तल खाना बनाने की मुहिम में लगे हुए हैं। और मैं आपको बता दूँ की वो बहुत माइनॉरिटी के लोग हैं। जो कत्तल खाना बनाना चाहते हैं। उसमें महापौर हो सकते हैं। महानगरपालिका के लोग हो सकते हैं। लेकिन मॅजोरिटी लोग हैं जो नहीं चाहते तो उनको अपनी ताकत दिखानी पड़ेगी। हमारे देश में एक बहुत बड़े व्यक्ति हुए गोस्वामी तुलसीदास। उन्होंने बहुत सुंदर बात लिखी है। विनय न मानद जलद निधि गए तीन दिन बीत बोले राम सकोप तब भय बिन होवे ना प्रीत गौमाता पंचगव्य चिकित्सा . .. .TAARATI S ' ...- T . DO गामाता:पच FREE :
SR No.009393
Book TitleGaumata Panchgavya Chikitsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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