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________________ अलग है। तो इस पॉलिसी के तहत भारत सरकार ने तय कर दिया है क्योंकि यह अंग्रेजियत की मान्यता है ना, तो उसी अंग्रेजियत की मान्यता से सब कुछ संचालित हैं इस देश में कुछ बदला नहीं है। ___ अंग्रेज चले गए हैं अंग्रेजियत की सारी नीतियां चल रही हैं। अंग्रेजों के बनाए गएं सारे कानून चल रहे हैं। अंग्रेज चले गए हैं अंग्रेजों का बनाया गया पाठयक्रम इस देश में चल रहा है। अंग्रेज रखलो लेकिन इस अंग्रेजियत को विदा करो। हमने उल्टा किया है, अंग्रेजों को विदा किया हैं अंग्रेजियत को नहीं छोड़ा। तो अंग्रेजियत शासन . तंत्र में भी है। कानून में भी है। शिक्षा में भी है और हमारे दैनिक जीवन के व्यवहार में भी है। उसी अंग्रेजियत ने भारत सरकार को प्रेरित कर रखा है जो भारत सरकार कहती हैं कि मीट एक्सपोर्ट डबल होना चाहिए। अब तक हमारे देश में बहत्तर लाख मीट्रिक क्विन्टल मांस उत्पादन होता हैं। सरकार चाहती हैं की यह एक सौ चालीस लाख मीट्रिक क्विन्टल हो जाना चाहिए। इसके लिए जितने पैसे की जरुरत है केन्द्र सरकार देने को तैयार है और केन्द्र सरकार ने कहा है कि सारे कत्तल खाने खोलो सब्सिडी हम देंगे। और कत्तल खाना खोलने के लिए एक करोड़ रुपये तक की सब्सिडी आराम से मिलती है और कई करोड़ रुपये का कर्ज बिना ब्याज के मिलता है। अगर यह कानून का प्रश्न नहीं होता। अंग्रेजियत का प्रश्न नहीं होता तो क्या होता. मान्यता का अगर प्रश्न होता तो इस देश की मान्यताओं के हिसाब से सजाया हुआ है। और दूसरे का कोई हस्तक्षेप आप उसमें पसंद नहीं करते हैं तो अपने देश को अपनी मान्यताओं के हिसाब से सजाइए। दूसरे के हस्तक्षेप को क्यूँ पसंद करे। क्योंकि यह जो हमारा छोटा घर हैं इन्ही छोटे-छोटे घरों से मिलकर देश बनता है। जो बड़ा घर है यह तो नहीं चलने वाला। कि घर हम हमारी मान्यताओं की हिसाब से चलाए देश को विदेशी मान्यताओं की हिसाब से चलाएं या विदेशी नीतियों की हिसाब से चलाएं। यह तो नहीं चलने वाला और अगर यह चलेगा तो हर समय संघर्ष होगा। यह कुछ इस तरह से होगा मैं आप को सरल शब्दों में समझाता हूँ। घर आपने सवारा है अपने हिसाब से, कोई पड़ोसी आके कहेगें- जी उडद की दाल खाओ रोज। तुवर की अच्छी नहीं होती और बैंगन का भरता खाओ यह बटाटा अच्छा नहीं होता। . और दूधी, भोपले का यह करो यह अच्छा नहीं होता रोज आपको आके सबेरे-सबेरे भाषण दे। कितने दिन आप सुनेगे। कहेंगे, भाई तु जा तेरे घर में कर। हमें क्या करना हैं वो हम तय करेगें, तु कौन होता है। हम उडद की दाल खायेगे, तुवर की दाल खाए तु कौन होता है बताने वाला कि हम दूधी-भोपले का रस पीये या नहीं पीये। होता कौन है तु हमारे घर में हम तय करेगें। अगर हम अपने घर के लिए अधिकार पूर्वक . इतना तीव्रता से कहते हैं तो देश के लिए क्यूँ नहीं कहते कि हमारे देश में क्या करना . गौमाता पंचगव्य चिकित्सा 54 .. ..
SR No.009393
Book TitleGaumata Panchgavya Chikitsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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