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________________ गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें। जिससे ऐंठन, मरोड़ व बार-बार का दस्त बंद हो जायेगा। जीवाणु नष्ट होकर मल बंधंजायेगा। 2. प्रतिदिन छाछ या गौतक्रारिष्ट का सेवन करें। अपथ्य : मीठा, लाल मिर्च, गर्म मसाले, दूध पथ्य : चावल, दही, ज्वार, गेहूँ, दाल, सब्जियाँ. 15. भगन्दर (नासूर Fistula) 1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (विसक) कर छानकर पीयें। या गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गमित्र हरीतकी वटी का सेवन करें। 2. दूध में घी डालकर पीयें। 3. भगन्दर को गौमूत्र से साफ करें जात्यादि घृत का प्रयोग करें। 4. प्रतिदिन गौमूत्र की बस्ति (एनिमा) लें। अपथ्य : दूधा, दूध से बने पदार्थ, मीठे-खट्टे पदार्थ, आलू, चावल तेल, मिर्च, मसाले, सभी प्रकार की हरी सब्जियाँ .. पथ्य : दाना मेथी की सब्जी, सुपाँचय भोजन, सब प्रकार की दालें, फल, पपीता, लौकी 16. भस्मक (बहुत अधिक भूख लगना) 1. भस्मक रोग पित्त बढ़ने से होता है और गौमूत्र पित्त करता है, इसलिए अल्प मात्रा में शुरू कर धीरे-धीरे पूर्ण मात्रा तक ले जाना चाहिए। . 2. गाय के घी का अधिकाधिक सेवन करना चाहिए। अपथ्य : पित्त बढ़ानेवाले पदार्थ जैसे गर्म मसाले, मिर्च बैंगन आलू चाय-कॉफी पथ्य : जौ, नींबू+मिश्री का शर्बत, दूध विशेष : पैरों के तलवे पर घी लगाकर कांसे के बर्तन से काला होने तक रगड़ें। . या 17. यकृत वृद्धि (Lever Enlargment) 1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (विसक) कर छानकर पीयें। . गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें। 2. छाछ या गौतक्रारिष्ट या गौतक्रासव का प्रतिदिन सेवन करें। , . 3. प्रतिदिन छिलके सहित कच्ची लौकी गौमाता पंचगव्य चिकित्सा 102 . 102.
SR No.009393
Book TitleGaumata Panchgavya Chikitsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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