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________________ . 12. अर्श (बवासीर Piles) 1. अधिकाधिक घी का सेवन करें। 2. केले के टुकड़े के बीच 1 ग्राम भीमसेनी कपूर रख उसे निगल लें। ऐसा 5-7 दिन तक करें। 3. विभिन्न गौशालाओं द्वारा निर्मित कासिसादि तेल आदि को बवासीर व गुदामार्ग में लगायें। . अपथ्य : पित्त बढ़ानेवाले आहार यथा गर्म मसाले, चाय, कॉफी, आलू, बैंगन, लहसुन, दही। अधिक बैठना, मैथुन। पथ्य : जमीकंद विशेष लाभ पहुंचाता है। गाय की छाछ, दलिया, सेंधा नमक, पपीता, लौकी, मिश्री, ब्रह्मचर्य। विशेष : 1. गौमूत्र से गुदा को बार-बार धोयें। . 2. व्यायाम - गुदा का 15-20 बार आकुंचन करें। यह व्यायाम दिन में 5-7 बार करें। 3. पैर के तलवों पर घी लगाकर कांसे के बर्तन से काला होने तक रगड़े। 4.2 ग्राम फिटकरी गर्म तवे पर फुलाकर गरम पानी में डालकर टब पर बैठकर 15-20 मिनिट स्थानीय सेंक दें। 13. आँतों में चीरा (Fissure) 1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। . . या गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें। 2. अधिकाधिक गाय के घी का सेवन करें। 3. दूध में घी डालकर पीयें। अपथ्य : आँतों में चिपकनेवाले पदार्थ जैसे मैदा, बेसन, आटा, मिठाई, आलू, आदि व पित्त बढ़ानेवाले पदार्थ जैसे गर्म मसाले, मिर्च, बैंगन, लहसुन, चाय-कॉफी . पथ्य : दलिया, पपीता, मिश्री . . विशेष : पैरों के तलवों पर घी लगाकर कांसे के बर्तन से काला होने तक रगड़ें। 14. प्रवाहिका (Dysentery) 1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परंत (fold) कर छानकर पीयें। या गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमाता पंचगव्य चिकित्सा 101
SR No.009393
Book TitleGaumata Panchgavya Chikitsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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