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________________ क्षेत्र वर्गणा काल वर्गणा भाव वर्गणा व्यवहार और निश्व नय से गुरुलघु-अगुरुलघु द्रव्य देशावधि, परमावधि और सर्वावधि का स्वरूप देशावधि + देशावधि के भेद परमावधि सर्वाधि परमावधि और सर्वावधि की तुलना अवधिज्ञान का द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव की अपेक्षा विषय परमावधि का द्रव्य की अपेक्षा विषय परमावधि के भेद उत्कृष्ट देशावधि और परमावधि में अन्तर + द्रव्य के साथ क्षेत्र और काल का सम्बन्ध परमावधि का क्षेत्र, काल और भाव की अपेक्षा विषय तिर्यंच संस्थान द्वार नारकी देवता के अवधिज्ञान का क्षेत्र + * * * परमावधि का कालादि की अपेक्षा ज्ञेय प्रमाण भाव की अपेक्षा जघन्य उत्कृष्ट अवधिज्ञान के स्वामी अवधिज्ञान की दिशा में वृद्धि आनुगामिक- अननुगामिक अवधिज्ञान आनुगामिक अवधिज्ञान भवनपति, वाणव्यंतर, ज्योतिषी देवों के अवधिज्ञान का क्षेत्र वैमानिक देव के अवधिज्ञान का क्षेत्र वैमानिक देवों में अवधिज्ञान का उत्कृष्ट प्रमाण अंतगत आनुगामिक अवधिज्ञान अंतगत के भेद * * धवलाटीका में अन्तगत अवधिज्ञान के प्रकार मध्यगत आनुगामिक अवधिज्ञान * मध्यगत के प्रभेद अंतगत और मध्यगत में अंतर अनानुगामिक अवधिज्ञान सम्बद्ध-असम्बद्ध अवधिज्ञान अनानुगामिक के भेद मिश्र अवधिज्ञान अनुगामिक- अननुगामिक अवधिज्ञान के स्वामी (ii) 332 333 333 333 334 334 334 335 335 336 336 337 337 337 338 339 339 340 341 341 342 343 345 345 345 346 348 350 350 351 353 353 354 355 355 355 356 357 357 357
SR No.009391
Book TitleVisheshavashyakbhashya ka Maldhari Hemchandrasuri Rachit Bruhadvrutti ke Aalok me Gyanmimansiya Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPavankumar Jain
PublisherJaynarayan Vyas Vishvavidyalay
Publication Year2014
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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