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________________ (xii) 189 192 193 198 200 200 204 205 205 206 206 206 207 207 207 215-298 215 215 अवग्रह आदि का काल अवग्रह आदि का निश्चित क्रम और परस्पर भिन्नता अवग्रहादि के बहु-बहुविध आदि भेद मतिज्ञान के द्वारा द्रव्यादि चतुष्क का ज्ञान सत्पदपरुपणादि नौ अनुयोग द्वारा मतिज्ञान की प्ररुपणा सत्पदप्ररूपणा द्रव्य प्रमाण द्वार क्षेत्र द्वार स्पर्शन द्वार काल द्वार अन्तर द्वार भाग द्वार भाव द्वार अल्पबहु त्व द्वार समीक्षण चर्तुथ अध्याय:- विशेषावश्यकभाष्य में श्रुतज्ञान श्रुतज्ञान का लक्षण श्वेताम्बर आचार्यों की दृष्टि में श्रुतज्ञान का लक्षण दिगम्बर आचार्यों की दृष्टि में श्रुतज्ञान का लक्षण श्रुतज्ञान का अन्य ज्ञानों से वैशिष्ट्य श्रुतज्ञान एवं केवलज्ञान की तुलना आत्मा के लिए श्रुतज्ञान का महत्व . श्रुतज्ञान मात्र शब्द रूप नहीं श्रुत ज्ञान के भेद अनुयोगद्वार के अनुसार आवश्यकनियुक्ति के अनुसार षट् खण्डागम के अनुसार तत्त्वार्थसूत्र के अनुसार अक्षर श्रुत श्रुतज्ञान के अक्षर-अनक्षर भेद क्यों? वर्ण का स्वरूप वर्ण के भेद . स्वर व्यंजन अक्षरश्रुत के प्रकार संज्ञा अक्षरश्रुत ★ लिपि के अठारह प्रकार व्यञ्जन अक्षरश्रुत लब्धि अक्षरश्रुत 216 218 218 218 219 220 220 220 221 222 222 223 224 224 224 224 225 225 225 226 226
SR No.009391
Book TitleVisheshavashyakbhashya ka Maldhari Hemchandrasuri Rachit Bruhadvrutti ke Aalok me Gyanmimansiya Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPavankumar Jain
PublisherJaynarayan Vyas Vishvavidyalay
Publication Year2014
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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