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________________ (२४) कौटिल्येनागतः प्रष्टा' विज्ञायचं ततो वदेत् ।।१०९॥ उदयादागता नाड्यस्तासामर्दैन संख्यया । सूर्यधिद्भवेदृक्षं तेन लमस्य निर्णयः ॥११॥ इति लमज्ञानम् । धनस्थानं यदा चन्द्रः सौम्यो वा यदि गच्छति । धनेशो वापि लगेशो यदोदेति तदा धनी ॥१११॥ भ्रातृगेहे यदा चन्द्रः सौम्यो वाम्येति वा पुनः । भ्रात्रीशो वापि लग्नेशो यदोदेति तदा धनी* ॥११२।। निधिस्थानं यदा चन्द्रः सौम्यो वा यदि वा धनः । निधीशो वापि लशस्तदा सौख्यं निधिस्थितिः ॥११३॥ पुत्रभावे यदा चन्द्रः सौम्यो वा प्रथमोदितः । पुत्रशो वापि लमेशः सुतप्राप्तिस्तदा ध्रुवम् ॥११४|| लम में यदि चन्द्रमा, शनि हो, कुंभ राशि में सूर्य और बुध तेज होन हो लो प्रष्टा का मन कुटिल समझना चाहिये । यह जान कर उत्तर भी उसी प्रकार देना चाहिये ।।१०६॥ सूर्योदय से नाड़ियों की आधी संख्या द्वारा सूर्यनक्षत्र से जो नक्षत्र निकले उससे लग्न का निर्णय करना चाहिये ।।११०॥ चन्द्र वा बुध धनस्थान में हों अथवा वे धनेश वा लग्नेश हो तो मनुष्य-अवश्य धनी होगा ॥११॥ चन्द्र वा बुध भ्रातृस्थान में हों अथवा वे भ्रात्रीश वा लग्नेश होकर रह तो मनुष्य अवश्य धनी होगा ॥११२॥ चन्द्र वा पुष्ट बुध चतुर्थस्थान में हों अथवा वे निधीश वा लग्नेश होकर रहें तो वह अवश्य सुखी होगा ॥११३।। । चन्द्र वा बुध पुत्रभाव में हो अथवा वे पुत्रेश तथा लग्नेश होकर रहें तो पुत्रप्राप्ति अवश्य होनी चाहिये ॥११॥ ___1 पृष्टा for प्रष्टा A. .). सूर्यभाद् for सूर्याद A. 3. A, Aradd : गतवटिका: पड़गुणितगतसंक्रान्तेर्दिनानि सम्मील्य। विशम्या च हरेद् भागं शेपं तात्कालिकं लग्नम् ।। 4. This verse is . repeated in the text तदानुन: tor तदा धनी Bh. 5. वाथ मादित: for वा प्रथमदतः । वान्य प्रमोदितः Bh.
SR No.009389
Book TitleTrailokya Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhsuri
PublisherIndian House
Publication Year1946
Total Pages265
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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