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________________ कन्या राहुगृहं प्रोक्तं राहुचं मिथुनं स्मृतम् । राहुनीचं धनुर्वर्णादिकं शनिवदस्य च ॥६९॥ मेषाद्या राशयो न्यस्ताः खे चक्रे द्वादशारके । उदग्रहयोगाद्यैर्व्यञ्जयन्तीष्टमङ्गिनाम् १७०॥ क्रियतावुरिजितुमकुलीरलेयपाथेनयूपक्रयाख्याः । ताक्षिक आकौकेरो हृद्रोगधान्तिमं रिष्यम् ॥७१॥ शीर्षमुखबाहुरुरउदरकटिबस्तयः । गुह्योरू जानुअंधे च पादौ राशिरजादिकः ॥७२॥ कराकरनरखीकाश्चरान्यद्विविधाः क्रमात् । राहु का घर कन्या कहा गया है । मिथुन उसका उच्च है। उसका नीच धनु और अन्य वर्ण श्रादि भी शनि की तरह जानने चाहिये ॥६६॥ हादशात्मक चक्र में स्थित मेषादि राशि लग्न और ग्रहों के योगादि से मनुष्य के शुभ फल को प्रकाशित करते हैं ।।७०।। मेवादिक राशियों की संज्ञायें क्रम से क्रिय, तावुरि, जितुम, कुलीर लेय, पाथोन, यूप, क्रय, तार्तिक, आकौफेर, हृद्रोग, रिष्य होती है ॥७॥ मेषादिक राशियों के क्रम से शिर, मुख, बाहु, छाती, पेट, कटि, बस्ति, (कटिपश्चाद्भाग ) गुदामार्ग, खुट्टियां, घुटने, जांघे और पांव अंग होते हैं ।।७२॥ मेष आदि राशि क्रम से क्रूर, अकर, नर-स्त्री-जातिक और चर बिर स्वभाव वाले होते हैं। जैसेमेष - कर । वृष = अफर नर , चर , स्थिर और मेषादि तीन तीन पूर्वादि दिशाओं में बली होते हैं ॥३॥ 1. शनिवर्णा for धनुर्वर्णा Bh. 2 न्यस्तं for न्यस्ता: A, B. 3. For this verse A. Al read :-क्रियताबुरिजिनितानुमुपलीरलयपार्थेनयूपरूपाख्या । नौक्षिक आकोरान्द्रेरगश्चांतिम ऋक्षम् । cf. Bh. त्रिनितांबुरिजितुमुकलीरलेयपार्थेनयूपकूर्पाख्या तौक्षिका भागोषुकरे कुद्वापश्चाविमरिष्फ । 4. रजादयः for जादिकः Bh. 5. भगन्यवि for भरायद्वि० Bh.
SR No.009389
Book TitleTrailokya Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhsuri
PublisherIndian House
Publication Year1946
Total Pages265
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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