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________________ ११ १२ (१७) परस्पर धनप्राप्ति वधूवरसमृद्धि स्त्री-पुरुष का प्रेमपूर्वक तथा वैरभाव से रहना दुसरी स्त्री को धन देना, तथा जार को सम्पत्ति देना स्त्रीपुरुष का परस्पर प्रेम नत्रोढ़ा के साथ सुस्त कन्या को पति को प्राप्ति ८४७-८४६ कन्या-वर स्वस्थता नएलाभप्रकरण नष्ट लाभ प्रकरण का प्रारम्भ ८५१ नष्ट वस्तु लाभ योग नष्ट वस्तु का लाभ तथा अलाम ८५३-५६ नष्ट वस्तु की चोर से प्राप्ति तथा अप्राप्ति ८५७ नष्ट वस्तु का लाभ, चोर की मृत्यु नष्ट वस्तु का अलाम वा लाम, नष्ट वस्तु का राजा के अधीन होना नष्टवस्तुनिर्णय प्रकार वस्तु का नष्ट न होना ८६१ नटवस्तुलाभ ८६२.८६३ नष्टवस्तुस्थाननिर्णय ८६४-८६६ नष्टवस्तुलाभ लामप्रकरण मेष श्रादि राशियों का अन्धधिरादिविचार शीघ्र लाभ विचार योग शीघ्र लाभयोग, सथा दरिद्रता योग ८७० लाभयोग ८७१.८८१ लाम का प्रभाव नाम प्रकरण समाप्त दिनचर्या फल शास्त्र चुराने पर पाप दिनफल तथा मासफल से सूर्य श्रादि का फल पस विथोपक दृष्टि सुन्दर भोजन प्राप्ति ८-पद C६७ ८८२ ८८३ م م ل س
SR No.009389
Book TitleTrailokya Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhsuri
PublisherIndian House
Publication Year1946
Total Pages265
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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