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________________ ५६ NGp xcc www com धनुर्वागाचक्र से मृत्यु, जय, भंग और धनक्षय ५८६-५८ कुन्त चक्र और उममे शुभाशुभज्ञान ५६०-५६१ द्वादश पत्रों का चक्र ५६२ महामारी भूमि उसमे जयाज्य निर्याय ५६३ रुद्रभूमि उमसे जयाजय निर्णय ५६४ ५६५ क्षेत्रपाली भूमि उससे जयाजय निर्णय ५६६-५६८ शरीर छाया से आक्रमगा में श्रेष्ठ दिशा का ज्ञान ५६६ सूर्य, चन्द्र, योगिनी, आदि का दिग्विचार ६००-६०१ नरचक्र ६०२-६०४ नरचक्र से घात-अघात विचार ६०५ ६१२ ___ सन्धिविग्रहप्रकरण शत्र-विग्रह योग ६१३-६१५ सन्धि में लाभ ६१६ - ६१७ सन्धि में हानि ६१८ सन्धि-विग्रह योग ६१६ अष्टमप्रकरण वृतज्ञान वृत्तों का बल नथा अबल ६२३ स्त्री का पुष्पवनी न होना ६२४ स्त्री का पुष्पवनी होना ६२५ पुष्प के वर्ण ६२६-२७ योनिस्थान में ग्रहों के स्वभाव सं पुष्पज्ञान ६.८-३० दोषप्रकरण सूर्य और चन्द्रमा से पीड़ा ६३१ मंगन से पीडा ६३२ बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु से क्लश ६३३-३२ पाप ग्रहों से क्लेश ६३५ ६३८ नच नीच विचार केन्द्र त्रिकोगा में दोष विचार अस्त्रग्रह तथा नीचप्रहविचार क्षेत्रपाल कृत, यतकृत तथा गोत्र कृत दोष शाकिनी आदि दोष ६४३-६४५ ON ६३६ १४
SR No.009389
Book TitleTrailokya Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhsuri
PublisherIndian House
Publication Year1946
Total Pages265
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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