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________________ ८ ह १० ११ १२ १३ १४ १५ १६ १७ १८ १६ २० २१ ३ ४ ७ C १० ११ १२ १३ ( ११ ) पुत्र का परदेश से शीघ्र लौटना बिलम्ब के फारया यात्री को घर में विश्राम लग्नेश के अनुसार पचिक की स्थिति मार्ग में पथिक को अनिष्ट प्रवासी मनुष्य की मृत्यु पथिक का रोगी होकर घर लौटना उदय तथा शुभ शकुन मार्ग में भय, चौर से उपद्रव मार्ग में शास्त्र से घात भय होने पर भी प्रहार तथा हानि न होना मार्ग में सानन्दमैथुन मार्ग में तालाब, कुआँ आदि मार्ग में महाभय का योग, राजा से निधि लाभ के योग राजगृह से लाभ, मार्ग में व्याधि दो जगह तथा तीन जगह विश्राम गमनागमन का होना तथा न होना युद्ध प्रकरण युद्ध प्रकरया का आरम्भ युद्धयोग Hee-yep ४८२ राजा का नाश युद्धयोग युद्ध न होने का योग युद्धयोग युद्धनिय नागरभाव और यायिभाव नागर राजा के जय तथा पराजय योग * ४८५ ४८३-४८७ ४ce ४६ ४६०-४६१ ४६२ ४६३ ४६४ ४६५ १४६६ ४६७ ४६८ ४६६ ५०० ५०१. ५०२ ५०३ ५०४-५०७ ५०८, ५०६ ५१० -५१२ ५१३ ५१४ ५१५ ५१६ यायी द्वारा नगर का महया तथा अमहा नगर वालों का जय तथा पराजय । स्थायी तथा यायी राजाओं के जयपराजय विचार राजाओं की परस्पर सन्धि युद्ध होने तथा न होने का विचार ५१७-५४० ५४१ ५४२
SR No.009389
Book TitleTrailokya Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhsuri
PublisherIndian House
Publication Year1946
Total Pages265
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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