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________________ ४ ५ ६ ७ ८ ह ४ १० ११ १२ १३ १४ २ १५ १६ १७ १८ १६ २० २१ १ २ ३ 3 x ४ ( 8 ) सप्तमप्रकरण पति तथा पत्नी की आज्ञा पालन का योग समान प्रीति योग परस्पर प्रीति योग प्रधान स्त्री योग पति से उत्तम होने का योग रंक कुलोत्पन्न कन्या भी रानी होती है। मृता भार्या होने का योग योग चतुर्भग्या प्रीतिः भार्या मृत्यु दोनों पत्नी सुन्दर होने का योग कितनी स्त्रियाँ होंगी ! स्व-पर स्त्री सुख योग सुन्दर स्त्री योग अवस्था वर्णन सुन्दर होने का योग स्त्री स्वभाव योग स्त्री का निर्दोष कन्या योग दूषित कन्या योग स्त्रीप्रसव ज्ञान चार कैसा है ? अन्य पुरुष से सन्तान अपने पति से सन्तान मिश्र सन्तान योग गर्भपितृनिर्णय स्त्री पुरुष में प्रेम तथा अप्रेम स्त्री प्रकरण समाप्त त्रिपकन्या विधवायोग स्त्रीजातक स्त्री का पति से दुर्व्यवहार पतिद्वेषिणी स्त्री २६५ ३६६ ३६७-३६८ ३६६ ४०० ४०१ ४०२ ४०३-४०४ ४०५ ४०६ ४०७ ४०८ ४०६ ४१० ४११-४१२ ४१३ ४१४-४१५ ४१६-४१८ ४१६-४२० ४२१ ४२२ ४२३ ४२४-४२७ ४२८०४२६ ४३० ४३१ ४३२ ४३३ ४३४
SR No.009389
Book TitleTrailokya Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhsuri
PublisherIndian House
Publication Year1946
Total Pages265
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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