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________________ પૂર ५८ ५६ ६० ६१ ६२ ६३ ६४ ६५ ६६ ६७ ६८ ६६ ७० ७१ ७२ १ २ ३ ४ ५ ६ c Σ १० ११ १२ १३ ( ५ ) गौरवर्ण प्रश्नकर्ता के उत्तर में विचार 39 " कृष्णा घातयित गात्र 99 छिन्नभिन्न पृष्टोदयादि लग्नफल 19 भीत तथा रोगी गात्र श्रभीष्ट सिद्धि योग फल 39 13 39 33 99 19 "3 19 अभ्युदय काल कथन सिंह लग्न में विशेष फल कथन " 19 भाव के शुभाशुभ फल कथन का प्रकार केन्द्र नामगुणवर्णन भाषों के दक्षिण-उत्तर संज्ञा वर्णन फलकथन २२७-२३२ "" कौन वर्ष हमारे लिये शुभ है इस प्रश्न में फलकथन २३३-२४० २४१ भावफलकथन भावों की अवस्था का वर्णन तथा पुरुष की अवस्था का फल शास्त्र प्रशंसा तथा आत्मप्रशंसा गृहमध्य में निधिस्थितियोग निधि किस दिशा में है १. चतुर्थभाव में निधानप्रकरण सम्पत्तिलाभयोग पूर्वजों की सम्पत्ति का योग अन्य प्रकार से सम्पत्ति प्राप्ति गृहभागस्थितिवश से सम्पत्तिफज्ञ दृष्टिवश से ऊपर नीचे निवि कितने बार खोदने से निधि मिले निधि का विशेष स्थान निय भूमि में कितनी दूरी पर निधि है निधि की वस्तु का निर्याय निवि मकान के अन्दर है कि बाहर राशियों की बाह्य आभ्यन्तर संज्ञा २१० २११ २१२ २१३ २१४ २१५ २१६ २१७-२२२ २२४ २२५ २२६ २४२-२५४ २५५ २५६-२५८ २५६ ,२६०-२६८ २६६-२७४ २७५-२७० २७८ २७६ - २८० २८१-२८२ २८३- २८५ २८६ २८० २८८ २८६-२६१
SR No.009389
Book TitleTrailokya Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhsuri
PublisherIndian House
Publication Year1946
Total Pages265
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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