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________________ स्वपर विषय का उपयोग करनेवाला भी आत्मज्ञानी होता है स्वपर विषय का उपयोग करनेवाला भी आत्मज्ञानी होता है पंचाध्यायी उत्तरार्द्ध की गाथायेंगाथा ८४५ अन्वयार्थ-'उस क्षायोपशमिक ज्ञान का विकल्पपना (अर्थात् परपदार्थ को जाननेरूप उपयोग) ज्ञान चेतना का बाधक कारण नहीं हो सकता (अर्थात् यदि कोई ऐसा मानते हों कि जीव पर को जानता है, ऐसा मानने से मिथ्यात्वी हो जाते हैं अथवा जीव पर को जानता है ऐसा मानने से सम्यग्दर्शन को बाधा होती है अर्थात् सम्यग्दर्शन नहीं होता, तो यहाँ समझाते हैं कि ज्ञान का पर को जानना, वह सम्यग्दर्शन के लिये बाधक कारण नहीं है) क्योंकि जिस गुण की जो पर्याय होती है, वह कथंचित् तद्रूप (उस गुणरूप) ही होती है इसलिए क्षायोपशमिक ज्ञान का विकल्प ज्ञान चेतनारूप शुद्धज्ञान का शत्रु नहीं है।' इसलिए जब ज्ञान पर को जानता है तब वह ज्ञानगुण स्वयं ही उस आकार से होता होने पर भी वह अपना स्वत: सिद्ध अर्थात् ध्रुवरूप अर्थात् ज्ञानपना नहीं छोड़ता और इसीलिए ही उस पर को जाननेरूप ज्ञानगुण का परिणमन ज्ञान सामान्यरूप ज्ञानचेतना का (शुद्धज्ञान का) शत्रु नहीं, बाधक नहीं, ऐसा समझकर ऐसा डर हो तो अवश्य निकाल देना आवश्यक है; यही बात आगे दृढ़ कराते हैं गाथा ८५८ अन्वयार्थ-'ज्ञानोपयोग के स्वभाव की महिमा ही कोई ऐसी है कि वह (ज्ञानोपयोग) प्रदीप की भाँति स्व तथा पर दोनों के आकार का एक साथ प्रकाशक है।' इस गाथा में ज्ञान का स्व-पर प्रकाशक स्वभाव दर्शाया है और उसे ही ज्ञान की महिमा भी बतलायी है। गाथा ८६० अन्वयार्थ- 'जो स्वात्मोपयोगी ही है, वही नियम से उपयुक्त है ऐसा नहीं (अर्थात् जो मात्र स्व उपयोगी है, वही सम्यग्दृष्टि है ऐसा नहीं) तथा जो परपदार्थोपयोगी है, वही निश्चय से उपयुक्त है ऐसा नहीं (अर्थात् जो मात्र पर को जानता है वही सम्यग्दृष्टि है, ऐसा भी नहीं) परन्तु उभय (दोनों) विषय को विषय करनेवाला ही (जाननेवाला ही) उपयुक्त अर्थात् उपयोग करनेवाला होता है -ऐसा नियम है. इस प्रकार क्रिया का अध्याहार करना चाहिए।' अर्थात सम्यग्ज्ञान स्वपर के ज्ञान और विवेकसहित ही होता है, अन्यथा नहीं। भावार्थ-'मात्र स्व-विषय का या मात्र पर विषय का ही उपयोग करनेवाला कोई
SR No.009386
Book TitleDrushti ka Vishay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayesh M Sheth
PublisherShailesh P Shah
Publication Year
Total Pages202
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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