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________________ नेत्रों से कफ निकलता रहे, इसके लिये अंजन (काजल/सुरमा) अवश्य लगाना चाहिए। सौवीर अंजन सात-सात दिन पर अर्थात सप्ताह में एक बार लगाने का विधान है। विश्लेषण : सौवीर अंजन एक तरह का खनिज पदार्थ है। जो आसानी से आयुर्वेदिक दवाओं की दुकानों पर मिलता है। इसे नींबू के रस में सात बार घोंट कर सूक्ष्म (बारीक) चूर्ण बना लें। फिर इसे आँखों में किसी शलाका की मदद से या साफ अंगुली से लगा सकते हैं। आँखों की होने वाली बीमारियों से बचने के लिये यह बहुत लाभकारी है। इसे प्रतिदिन लगाया जा सकता है। सप्ताह में कम से कम एक बार रसाजंन (रस-अंजन) लगाने का सुझाव दिया गया है। इससे भी नेत्र से कफ का स्त्राव होता है। रसान्जन बनाने की विधि-रसांजन बनाने के लिये दारूहल्दी और देशी गाय के दूध का प्रयोग किया जाता है। एक मात्रा हल्दी और 3 मात्रा दूध को अच्छे से पकाकर (गरम करके उबालना) घनसत्व बनाया जाता है। फिर इसे सप्ताह में एक दिन लगाया जा सकता है। विश्लेषण : आँखों में होने वाला रोग मोतियाबिन्द, कफ का ही एक स्वरूप है। यदि इस कफ का नाश कर दिया जाये तो मोतियाबिन्द भी ठीक हो जाता है। _अभ्यड.गमाचरे नित्यं स जराश्रमवातहा दृष्टिप्रसादपुष्टआयुः स्वप्नसुत्वकत्वदाढर्यकृत् शिरःश्रवणपादेषु तं विशेषेण शीलयेत्। अर्थ : शरीर को प्रतिदिन तेल मालिश (अभ्यंग) जरूर करनी चाहिए। अकाल में आनेवाली वृद्धावस्था और अधिक श्रम करने से होनेवाली थकावट को दूर करने के लिये तेल मालिश (अभ्यग) जरूर करनी चाहिए। नित्य तेल मालिश करने से प्रसन्नता, पुष्टि और आयु प्राप्त होती है। नित्य तेल मालिश से सुखपूर्वक नींद भी आती है। नित्य तेल मालिश से त्वचा भी सुन्दर होती है और शरीर मजबूत बनता है। तेल मालिश विशेष रूप से सिर, कान और पैरं की करनी चाहिए। वैसे तो पूरे शरीर की ही तेल मालिश होनी चाहिए, लेकिन कान, सिर और पैरों की विशेष तेल मालिश होनी चाहिए। विश्लेषण : तेलमालिश से थकान दूर होती है। निरन्तर तेलमालिश रं मांस-पेशियां बहुत ही मजबूत होती हैं। मांस-पेशियों के दुर्बल होने से शरी : के अंगों में शिथिलता (कमजोरी) आती है। नित्य तेल मालिश होने से या कमजोरी नहीं आती है। इससे शरीर की सभी इन्द्रियां प्रसन्न रहती हैं औ अपने-अपने कार्यों में लगी रहती है।सिर कफ का स्थान है। तेल का गुप उष्ण (गम) है और सूक्ष्म है। अतः सिर पर तेल मालिश करने से कफ का नाम . 16
SR No.009376
Book TitleSwadeshi Chikitsa Part 01 Dincharya Rutucharya ke Aadhar Par
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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