SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 78
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सरल सामुद्रिक शास्त्र होता है। इनमें क्रोध की भावना अधिक होती है तथा प्रत्येक क्षण भोग की इच्छा बनी रहती है। इनका मन दुष्ट होता है तथा मादक द्रव्यों का सेवन इन्हें रुचिकर लगता है। ये दुराचारिणी तथा पर-पुरुष में रत रहती हैं। 5. सहिनी- ये सरल स्वभाव वाली तथा डरपोक होती हैं। ऐसी स्त्रियां हंसमुख और लज्जायुक्त होती हैं। उनकी बोली कोमल होती है तथा प्रत्येक दृष्टि से पति को प्रसन्न करने की कला इन्हें आती है। 6. मेत्रायणि- ये सुन्दर, रूपवती, गौर-वर्ण, अभिनय के साथ काम करने वाली होती हैं, पर उन्हें पति दुष्ट या कमजोर मिलते हैं। इस वजह से इनका गृहस्थ जीवन ज्यादा सुखमय नहीं होता। इनके रूप को देखकर प्रत्येक पुरुष मोहित हो जाता है। ये पुरुष से दूर रहती हैं। 7. कलहकारिणी- ऐसी स्त्री की भौंहें हमेशा चढ़ी हुई रहती हैं। इसके दांत ऊंचे-नीचे तथा भैंस के समान शरीर होता है। रास्ते मे चलते समय इसके पैरों से धूल उड़ती रहती है। यह द्वेष रखने वाली तथा धोखे से पति को मारने वाली होती हैं। यह किसी भी प्रकार से परपुरुष से सम्बन्ध जोड़ने में ही अपनी चतुराई समझती हैं। 8. गृहस्थिनी- ऐसी स्त्री आदर्श रूप से घर को चलाने वाली होती है तथा पति में ही अनुरक्त रहती है। न तो यह अधिक बोलती है न किसी को धोखा देती है। न यह पर पुरुषों को चाहती है और न अधिक बनी ठनी रहती है। कुकर्मों से दूर रहने वाली यह स्त्री अपने दोनों पक्षों का नाम ऊँचा उठाती है। 9. आतुरा- ऐसी स्त्री प्रत्येक कार्य को तुर्त-फुर्त करने में विश्वास रखती है। यह साधारण रूप रंग वाली स्त्री पति से प्रेम करने वाली होती है, तो कभी पति से भयंकर लड़ाई भी कर लेती है। इस स्त्री को समझना अत्यन्त कठिन होता है। 10. भयातुरा- यह गौर वर्ण, नाजुक, लज्जा से सिकुड़ सिमट कर बात करने वाली तथा थोड़ी-थोड़ी बातों से डरने वाली है। यह कभी अकेली नहीं रहती है। यह सबसे प्रेम करने वाली, मधुर भाषण करने वाली तथा अपने धर्म को
SR No.009374
Book TitleSaral Samudrik Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy