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________________ 1,3,5,7, तारा जन्म नक्षत्र से अशुभ होती है। गोचर अष्टक वर्ग का एक अंग है। अष्टक वर्ग में ग्रहों और लग्न को केन्द्र मानकर उनके शुभाशुभ स्थानों की गणना की जाती है। प्रत्येक ग्रह का अष्टक वर्ग चक्र बनाया जाता है और उससे गोचर के ग्रहों का शुभाशुभ फल कहा जाता है। गोचर का फल अष्टक वर्ग चक्र पर भी निर्भर करता है। समस्त ग्रह गोचर में एक स्थिति बनाते हैं। एक योग बनाते है और उस योग के अनुसार गोचर के ग्रहों का फल शुभाशुभ होता है। केवल एक ग्रह के फल का कोई इतना महत्व नहीं हैं। वह तो समस्त ग्रह मण्डल का एक अंग मात्र है जैसे हम शरीर न तो सिर को कह सकते है नहीं आंख को, नहीं नाक को, नहीं अन्य भिन्न-भिन्न अंगो को शरीर तो समस्त अंगो के मिलकर कार्य करने का नाम है। इसी प्रकार गोचर का फल भी समस्त ग्रह मण्डल के एक-विशेष स्थिति का नाम है न कि शनि का या गुरु आदि अन्य ग्रहों का, इसलिए तो शनि का या गुरु का प्रत्येक चक्र जातक को प्रत्येक समय भिन्न-भिन्न फल देता है। इस प्रकार विचार कर हम कह सकते है कि केवल गोचर के आधार फल कहेंगे ज्योतिषी के लिये शोभा नहीं देता। इससे ज्योतिष शास्त्र का अपमान तो होता ही है जातक का भी अपमान होता है। 129
SR No.009373
Book TitleSaral Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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