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________________ 6.अ.विवाह रेखा शाखापुंज पर समाप्त और हृदय रेखा की ओर झुकती हुई-तलाक की द्योतक है। 6.ब.विवाह रेखा, बृहस्पति पर्वत पर शाखापुंजदार-सगाई टूटना। 6.स.सूर्यरेखा को छूती हुई नीचे की ओर एक शाखा- अनमेल विवाह। 7.अ.स्वास्थ्य रेखा पर तारक चिन्ह दूसरी उंगली के तीसरे पर्व पर तारक (तारा)चिन्ह । निकृष्ट हृदय रेखा बिना शाखापुंज -सन्तानहीनता। 7.ब.शुक्र तथा चन्द्र पर्वत पर स्टार होने से - रोमांसपूर्ण प्रेम और प्रेमी के साथ पलायन, यदि हाथ की रेखायें निकृष्ट हों- प्रेम के मामलों में अस्वाभाविक मनोवृत्तियां, अस्थिरता। 7.स.बृहस्पति-पर्वत पर क्रास- सुखी विवाह। 8.अ.बृहस्पति-पर्वत पर एक नक्षत्र-आकांक्षा तथा प्रेम की पूरी सन्तुष्टि । 8.ब.बृहस्पति-पर्वत एक नक्षत्र -श्रेष्ठ विवाह। 8.स.शनि-पर्वत पर एक क्रास -सन्तानोत्पत्ति की असमर्थता। 140
SR No.009372
Book TitleSaral Hastrekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year2001
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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