SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 124
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर स्वाहा। विधि- २१ दिन तक लगाकर १००० जप से शीघ्र विद्या आती है। ७. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो बीजबुद्धीणं। मंत्र- ॐ ह्रीं हूं सं श्रां श्रीं क्रौं क्लीं सर्व दुरितं संकट क्षुद्रोपद्रवकष्ट निवारणं कुरु कुरु स्वाहा। विधि- २१ दिन तक प्रतिदिन १०८ बार जपने से विष नहीं चढ़ता तथा कंकरी को १०८ बार मंत्रित कर सर्प के सिर पर मारने से वह कीलित हो जाता है। ८. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो अरिहंताणं णमो पादाणुसारिणं । मंत्र- ॐ ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्र: अ सि आ उ सा अप्रतिचक्रे फट विचक्राय झौं झौं स्वाहा। ओं ह्रीं लक्ष्मण रामचन्द्र देव्य नमः स्वाहा। विधि- २१ दिन तक प्रतिदिन ऋद्धि व मंत्र का जाप करने से अरिष्ट मिट जाते हैं। ९. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो अरहंताणं णमो संभिण्ण सोदराणं हां ही हूं फट् स्वाहा। मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्रौं भवीं रं रं हं ह: म मः स्वाहा। विधि- १०८ बार मंत्रित कंकरी चारों दिशाओं में फेंकने से पथ कीलित हो जाता हैं, सप्त भय भाग जाते है। १०. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो सयंबुद्धीणं । मंत्र- ॐ जन्म सध्यानतो जन्मतो वा मनोत्कर्ष धृतावादि नोर्याक्षान्ताभावे प्रत्यक्षा बुद्धान्मनो आं ह्रां ह्रीं हूँ ह्रौं ह्रः श्रीं श्रीं श्रृं श्रौं श्रः सिद्धबुद्ध कृतार्थों भव भव वषट् सम्पूर्ण स्वाहा। विधि-सात नमक की डली को १०८ बार मन्त्रित करके खाने से कुत्ते का विष असर नहीं करता। ११. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो पत्तेयबुद्धीणं। मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं श्रीं श्रीं कुमतिनिवारिण्यै महामायायै नमः स्वाहा। विधि- २१ दिन तक लगातार १०८ बार जपने से अभीष्ट व्यक्ति आ जाता है १२. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो बोहिबुद्धीणं। मंत्र- ॐ आँ अं अः सर्व राजा प्रजा मोहिनी सर्वजन वश्यं कुरु कुरु स्वाहा। विधि- ४२ दिन तक प्रतिदिन १००० मंत्र जपें। एक पाव तिल के तेल को मंत्रित कर हाथी को पिलाने से उसका मद उतर जाता है। १३. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो ऋजुमदीणं। मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं हंसः ह्रौं ह्रां ह्रीं द्रां द्रीं द्रों द्रः मोहिनी सर्वजन वश्यं कुरु कुरु स्वाहा। 216
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy