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________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं श्रां श्रीं ह्रां ह्रीं हूँ ह्रौं ह्रः क्ष्वीं कुविष विषमविष महाविष निवारिण्यै महामायामै नमः स्वाहा । विधि- सश्रद्धा ऋद्धि-मंत्र जप से सभी प्राणघातक विषों का नाश होता है। ४०. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमोसव्वसाहूणं । मंत्र- ॐ नमो भगवते विषमविषविनाशिनी महाकाल दृष्ट मृतक को - स्थापनी पाप विमोचनी जगदुद्धारिणी देवि देवते ह्रीं श्रीं नमो नमः स्वाहा । विधि - ऋद्धि मंत्र की आराधना से सब पापों का नाश होता है। 125. भक्तामर स्तोत्र ऋद्धि मंत्र १. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो अरिहंताणं, णमो जिणाणं ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रौं ह्रः असि सा अप्रतिचक्रे फट् विचक्राय झौं झौं स्वाहा । मंत्र-ॐ ह्रां ह्रीं हूँ श्रीं क्लीं ब्लू क्रौं ओं ह्रीं नमः स्वाहा । ܬ विधि- प्रतिदिन १०८ बार जपने से सब विघ्न नष्ट होते हैं । २. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो ओहिजिणाणं । मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लूं नमः । विधि - सात दिन तक लगातार प्रतिदिन १००० बार जपने से समस्त रोग शान्त होते हैं । ३. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो परमोहिजिणाणं । मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सिद्धेभ्यो बु द्धेभ्यः सर्वसिद्धिदायकेभ्यो नमः स्वाहा । विधि- सश्रद्धा प्रतिदिन १००० जप सात दिन तक जपने से अपूर्व सिद्धियां प्राप्त होती हैं। ४. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो सव्वोहिजिणाणं । मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं जलयात्रा देवताभ्यो नमः स्वाहा । विधि- प्रतिदिन १००० जप सात दिन तक लगातार करने पर तथा २१ कंकरियों को क्रमशः एक-एक कंकरियों को मंत्रित कर जल में डालने से जाल में मछलियाँ नहीं फँसती । ५. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो अणंतोहिजिणाणं । मंत्र - ॐ ह्री श्रीं क्लीं कौं सर्वसङ्कटनिवारणेभ्यः सुपार्श्वयक्षेभ्यो णमो स्वाहा । विधि - सात दिन तक लगातार १००० जप करने से सब संकट शमन होते हैं । ६. ऋद्धि - ॐ ह्रीं अर्हं णमो कोट्ठबुद्धीणं । मंत्र-ॐ ह्रीं श्रां श्रं श्रः हं सं थ थः ठः ठः सरस्वती भगवती विद्या प्रसादं कुरु कुरु 215
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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