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________________ ॥ तइओ उद्देसो ॥ भिक्खू य इच्छेज्जा गण धारित्तए भगवं च से अपलिच्छण्णे एवं से नो कप्पइ गणं धारित्तए । भगवं च से पलिच्छन्ने एवं से कप्पइ गणं धारित्तए ॥१॥ भिक्खू य इच्छेज्जा गणं धारित्तए नो से कप्पइ थेरे अणापुच्छित्ता गणं धारित्तए । कप्पइ से थेरे आपुच्छित्ता गणं धारित्तए । थेरा य से वियरेज्जा एवं से कप्पइ गणं धारित्तए, थेरा य से नो वियरेज्जा एवं से नो कप्पइ गणं धारित्तए । जणं थेरेहिं अविइण्णं गणं धारेज्जा से संतरा छेए वा परिहारे वा ॥२॥ तिवासपरियाए समणे निग्गंथे आयारकुसले संजमकुसले पवयणकुसले पन्नत्तिकुसले संगहकुसले उवग्गहकुसले अक्खयायारे अभिन्नायारे असवलायारे असंकिलिट्ठायारे वडुस्सुए वभागमे जहन्नेणं आयारकप्पधरे कप्पइ उवज्झायत्ताए उद्दिसित्तए ॥३॥ सच्चेव णं से तिवासपरियाए समणे णिग्गंथे नो आयारकुसले नो संजमकुसले नो पवयणकुसले नो पन्नत्तिकुसले नो संगहकुसले नो उवग्गहकुसले खयायारे भिन्नायारे सवलायारे संकिलिट्ठायारे अप्पमुए अप्पागमे नो कप्पइ उवज्झायत्ताए हिसित्तए ॥४॥ पंचवासपरियाए समणे णिग्गंथे आयारकुसले संजमकुसले पवयणकुसले पन्नत्तिकुसले संगहकुसले उवग्गहकुसले अक्खयायारे असवलायारे असंकिलिहायारे बहुस्सुए कब्भागमे जहन्नेणं दसाकप्पयवहारधरे कप्पइ आयरियउवज्झायत्ताए उदिसित्तए ॥५॥ सच्चेव णं से पंचवासपरियाए समणे णिग्गंथे नो आयारकुसले नो संजमकुसले नो पवयणकुसले नो पन्नत्तिकुसले नो संगहकुसले नो उवग्गहकुसले खयायारे भिन्नायारे सबलायारे संकिलिट्ठायारे अप्पमुए अप्पागमे नो कप्पइ आयरियउवज्झायत्ताए उदिसित्तए ॥६॥ ___अहवासपरियाए समणे णिग्गंथे आयारकुसले संजमकुसले पवयणकुसले पन्नत्तिकुसले संगहकुसले उवग्गहकुसले अक्खयायारे अभिन्नायारे असवलायारे बहुस्सुए वभागमे जहन्नेणं ठाणसमवायधरे कप्पइ आयरियत्ताए उवज्झायत्ताए गणावच्छेयगत्ताए उदिसित्तए ॥७॥ सच्चेव णं अट्ठवासपरियाए समणे णिगंथे नो आयारकुसले नो संजमकुसले नो पवयणकुसले नो पन्नत्तिकुसले नो संगहकुसले नो उवग्गहकुसले खयायारे भिन्नायारे
SR No.009358
Book TitleVyavaharasutram evam Bruhatkalpsutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages536
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_bruhatkalpa, & agam_vyavahara
File Size32 MB
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